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Cyber ​​Fraud से मुकाबले के लिए IIT भिलाई ने तैयार की डिवाइस, क्या इससे UPI, ई-कॉमर्स व नेट बैंकिंग होगी सुरक्षित

छत्तीसगढ़ समेत देशभर में सायबर फ्रॉड सबसे बड़ी समस्या बन गई है. इस बड़ी समस्या को नियंत्रित करने आईआईटी भिलाई  ने एक इनोवेशन किया है. आईआईटी भिलाई की एक टीम ने एक डिवाइस बनाई है, जिसके उपयोग से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन  ज्यादा सुरक्षित होने का दावा किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि इस डिवाइस के उपयोग से यूपीआई, ई-कॉमर्स व नेट बैंकिंग से लेनदेन ज्यादा सुरक्षित हो जाएगी. पेन ड्राइव की तरह दिखने वाली इस डिवाइस का नाम ट्रस्ट टोकन रखा गया. छत्तीसगढ़ में चार साल में साइबर ठगी के मामले दस गुना तक बढ़े हैं, ये बेहद चिंता का विषय है.

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डिवाइस के पहले चरण का काम पूरा

आईआईटी भिलाई के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षक व ट्रस्ट टोकन प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. धीमन साहा ने बताया कि विभिन्न चरणों में विकसित की जा रही, इस डिवाइस के पहले चरण का काम पूरा कर लिया गया. दूसरे चरण का काम भी लगभग अंतिम दौर में है. डॉ. धीमन ने बताया कि यह डिवाइस पेन ड्राइव की तरह दिखती है, लेकिन यह एक तरह से डोंगल है, जो सुरक्षा लेयर बढ़ाएगा. इस डिवाइस को जब तब कम्प्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल में नहीं लगाएंगे, तब तक किसी भी तरह का ट्रांजेक्शन नहीं हो सकेगा. बता दें, छत्तीसगढ़ में जनवरी 2024 से अक्टूबर 2024 तक 17011 लोग साइबर ठगी के शिकार हो चुके हैं. वहीं, साल 2020 में छत्तीसगढ़ में 2295 साइबर अपराध के मामले दर्ज हुए थे.

ट्रस्ट टोकन का भी होगा पासवर्ड

डॉ. धीमान ने बताया कि ट्रस्ट टोकन डिवाइस अगर किसी के हाथ लग गया, तो भी ट्रांजेक्शन होने का ज्यादा खतरा नहीं रहेगा. क्योंकि उस डिवाइस का भी एक पासवर्ड होगा, जो उसके उपयोगकर्ता के पास ही होगा. ऐसे में अगर कोई उस डिवाइस को चोरी कर ले या फिर डिवाइस खो जाए, या किसी भी तरह से अनजान या आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति के पास पहुंच जाए तो भी उसको लगाने के बाद अन्य पासवर्ड के अलावा डिवाइस का पासवर्ड भी जानना उसे जरूरी होगा, बिना उसके डिवाइस काम नहीं करेगी. इसका दूसरे व्यक्ति द्वारा गलत इस्तेमाल करना बहुत मुश्किल होगा.

‘जरूरी एग्रीमेंट के बाद शुरू होगा उपयोग’ 

डॉ. धीमान ने बताया कि हमने देखा है कि कई बार घर में मोबाइल में बैंकिंग ट्रांजेक्शन के लिए इस्तेमाल होने वाले ऐप का पासवर्ड उसमें सेव होता है. कई बार घर में बच्चे कोई ऑनलाइन गेम खेलते हुए या फिर कुछ सर्च करते हुए गलती से भुगतान किसी कंपनी को कर देते हैं, या फिर कोई प्रोडक्ट ऑर्डर कर उसका भुगतान कर देते हैं. इस तरह के लेनदेन को भी ट्रस्ट टोकन नियंत्रित करेगा. क्योंकि मोबाइल फोन भले ही बच्चों के हाथ में होगा. लेकिन जब तक उनके पास डोंगल व उसका पासवर्ड नहीं होगा, वे किसी प्रकार का भुगतान नहीं कर पाएंगे. डॉ धीमान ने बताया कि आईआईटी की टीम का ट्रस्ट टोकन के इस्तेमाल को लेकर आईसीआईसीआई बैंक व आरबीआई से चर्चा चल रही है. जरूरी एग्रीमेंट के बाद इसका उपयोग शुरू किया जा सकता है. भारत सरकार की मदद से इस डिवाइस को पूरी तरह मेड इन इंडिया बनाने पर काम हो रहा है.

जानें डिवाइस से जुड़ी खास बातें

पेन ड्राइव की जैस दिखती है डिवाइसडिवाइस का भी होगा पासवर्डडिवाइस निकालते ही रुक जाएगा ट्रांजेक्शनबगैर डिवाइस लगाए नहीं होगा ऑनलाइन लेनदेनसुरक्षित चाबी का काम करेगा डिवाइसनेट बैंकिंग और ई-कॉमर्स लेन-देन को सुरक्षित करेगी डिवाइसमोबाइल या लैपटॉप में इसे कनेक्ट किए बिना नहीं होगा कोई भी ट्रांजेक्शनआरबीआई और बड़े बैंक अपना सकते हैं, आईआईटी का ये इनोवेशनसाल 2021 में साइबर ठगी के अपराध बढ़ कर 7134 हो गए2022 में ये आंकड़ा 12295 पहुंच गया2023 में 22296 लोग साइबर ठगी के शिकार हुए.

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