मैहर में अवैध बारूद का भंडारण, प्रशासन मौन: दस्तावेजों की जांच से परहेज क्यों?

मैहर: मध्य प्रदेश के मैहर के ककरा ग्राम पंचायत में खेतों के बीच बने एक मकान में अवैध रूप से बारूद का भंडारण किया जा रहा है. यह क्षेत्र बड़ी मात्रा में लाइम स्टोन की खदानों के लिए जाना जाता है, जहां ब्लास्टिंग के जरिए पत्थर निकाले जाते हैं. जैसे ही प्रशासन को इस बारूद भंडारण की जानकारी मिली, अफसरों ने तुरंत दूरी बना ली। इसका कारण साफ़ है—जांच होने पर कागजात खुल सकते हैं, और इन कागज़ों के खुलने से बड़े राज़ भी सामने आ सकते हैं.

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अब सवाल यह उठता है कि क्या इस भंडारण के लिए संचालक के पास स्टॉक और परिवहन की वैध अनुमति है? क्या जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने इस भंडारण के लिए कोई हरी झंडी दी थी? इस बीच, सुरक्षा मानकों की बात करना पूरी तरह से बेमानी हो चुका है. फायर सेफ्टी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति का भी कोई उल्लेख नहीं किया गया है, क्योंकि सरकारी तंत्र और व्यापारियों के बीच सामंजस्यता पहले से ही कायम रहती है.

 

दस्तावेजों की जांच की बात की जाए तो यह कोई असहज जिज्ञासा बन चुकी है, जिसे दबाने में प्रशासन की ज्यादा रुचि है.सरकारी तंत्र की संवेदनाओं को देखा जाए तो यह स्पष्ट होता है कि धन्नासेठों के लिए प्रशासन हमेशा 24 घंटे जाग्रत रहता है, जबकि आम जनता के लिए यह संवेदनशीलता तब तक चुप रहती है, जब तक कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हो जाती.

अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस बार दस्तावेजों की जांच करेगा, या फिर हमेशा की तरह किसी बड़े हादसे का इंतजार करेगा, जो शायद सरकार की नई नीति बन चुकी हो?

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