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अवैध खनन, दबंगई और मनी लॉन्ड्रिंग… दुबई फरार सहारनपुर के हाजी इकबाल ने कैसे खड़ा कर लिया अरबों का साम्राज्य?

उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार के समय कभी हाजी इकबाल उर्फ बाला (Haji Iqbal) के नाम की तूती बोलती थी. खनन के कारोबार में हाजी इकबाल का आशीर्वाद उससे जुड़े लोगों को करोड़पति बना रहा था. अब उसी हाजी इकबाल की अपराध से जुटाई संपत्ति पर कार्रवाई हो रही है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाजी इकबाल की 4440 करोड़ की संपत्ति जब्त की है. हाजी इकबाल की पहले भी अरबों की संपत्तियां जब्त की जा चुकी हैं. उस पर करीब 40 से ज्यादा केस दर्ज हैं.

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सपा और बसपा सरकार के कार्यकाल में मोहम्मद इकबाल उर्फ हाजी इकबाल उर्फ बाला पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा खनन माफिया था. उसने करोड़ों का अवैध कारोबार फैला रखा था. खनन के अवैध कारोबार से उसने अवैध संपत्ति अर्जित की.

मई 2022 में सहारनपुर पुलिस ने हाजी इकबाल के करीबियों की एक सौ सात करोड़ की 123 संपत्तियों को गैंगस्टर एक्ट में कुर्क किया था. मई 2022 में जब जांच की गई तो मोहम्मद इकबाल और उसके गैंग के नाम पर कुल 123 संपत्तियां दर्ज थीं, जिनकी कीमत 364013130/- रुपये (छत्तीस करोड़ 40 लाख तेरह हजार एक सौ तीस रुपये) बताई गई थी.

ये तमाम संपत्तियां हाइवे किनारे की थीं, जिन पर बेशकीमती बाग लगे थे, लिहाजा बाजार मूल्य में इनकी कीमत बढ़कर लगभग 1069304180/- (एक सौ छह करोड़ तिरानवे लाख चार हजार एक सौ अस्सी रुपये) आंकी गई थी.

कार्रवाई से कतराती रहीं पिछली सरकारें!

यूपी में हाजी इकबाल ऐसा खनन माफिया रहा है, जिस पर हाथ डालने से सरकारें तक कतराती रहीं. बसपा सरकार में खनन के कारोबार से लेकर कौड़ियों के दाम में चीनी मिल खरीदने में हाजी इकबाल की बड़ी भूमिका रही, जिससे उसने अरबों की संपत्ति बनाई. इसी संपत्ति पर सहारनपुर पुलिस ने दो साल पहले मई 2022 में कार्रवाई की थी.

2021 में भी ईडी ने की थी कार्रवाई, 1097 करोड़ की संपत्ति की थी अटैच

मार्च 2021 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने यूपी के चीनी मिल घोटाले में पूर्व एमएलसी मोहम्मद इकबाल के खिलाफ कार्रवाई की थी. उस समय ईडी ने ने पूर्व एमएलसी की एक हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्तियों को अटैच किया था. इस कार्रवाई को ईडी की लखनऊ जोन की टीम ने अंजाम दिया था. यह मामला प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल का था.

दरअसल, यूपी में साल 2010 से लेकर 2011 के दौरान करीब 11 चीनी मिलों को औने-पौने दामों पर बेचा गया था. आरोप लगा था कि उस डील से राज्य और केंद्र सरकार को करीब 1,179 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

उत्तर प्रदेश में साल 2007 से लेकर 2012 के बीच मायावती का शासन रहा था. इसी मामले में बीएसपी के पूर्व एमएलसी मोहम्मद इकबाल और उनके परिवार से जुड़ी 1097 करोड़ रुपये की संपत्ति को अटैच कर दिया गया था.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की सीबीआई जांच के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था. इसके बाद सीबीआई ने भी जांच शुरू की थी. सीबीआई की एफआईआर के आधार पर ED ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था.

जांच के दौरान सामने आया था कि नम्रता मार्केटिंग प्रा. लिमिटेड और गिरीशो कंपनी प्रा. लिमिटेड मो. इकबाल के नियंत्रण वाली शेल कंपनियां हैं. पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल और उसके परिवार के सदस्यों ने 2010-11 के दौरान यूपी सरकार की चीनी मिलों के विनिवेश की बोली प्रक्रिया में भाग लिया था.

विभिन्न शेल कंपनियों के माध्यम से 7 चीनी मिलों का अधिग्रहण किया था. इसमें विभिन्न शेल कंपनियों के डमी निदेशक और फर्जी लेनदेन का पता चला था. ये शुगर मिल्स बाराबंकी, देवरिया, कुशीनगर और बरेली में स्थित हैं.

हाजी इकबाल और फैमिली ने बोली लगाकर गिरीशो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड और नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड ने सात कंपनियों, यानी एब्लेज चीनी मिल्स प्राइवेट लिमिटेड, आदर्श शुगर प्राइवेट लिमिटेड, एजिल शुगर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, इकोन शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड, मेजेस्टी शुगर सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मास्टिफ शुगर सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड और ओकरा शुगर्स प्राइवेट लिमिटेड को खरीदा था.

सहारनपुर पुलिस ने की थी कुर्की की कार्रवाई

मई 2022 में सहारनपुर पुलिस ने हाजी इकबाल के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई की थी. सहारनपुर पुलिस ने राजस्व विभाग की संयुक्त टीम के साथ मिलकर 21 करोड़ रुपए की 50 बेनामी संपत्तियों को कुर्क किया था.

पुलिस ने 9 अप्रैल 2022 को हाजी इकबाल और उसके छह साथियों के खिलाफ थाना मिर्जापुर में गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज किया था. इस मामले में जंगल से बड़े पैमाने पर लकड़ी की तस्करी अवैध खनन से जुड़े कारोबार और दबंगई के बल पर लोगों को डरा धमकाकर धोखाधड़ी करके सरकारी, गैर सरकारी जमीन पर कब्जा करने का मामला सामने आया था.

हाजी इकबाल और उसके गैंग पर दर्ज मामलों की बात करें तो मोहम्मद इकबाल उर्फ हाजी इकबाल उर्फ बाला पर सहारनपुर के विभिन्न थानों में 2022 में 28 केस दर्ज थे. वहीं उसके बेटे अब्दुल वाहिद उर्फ वाजिद और जावेद पर लखनऊ से लेकर सहारनपुर तक 12 केस दर्ज थे. तीसरे बेटे अफजाल पर 3, चौथे बेटे आलीशान पर 7 केस दर्ज थे.

लखनऊ में 11 करोड़ की कोठी पर कर दी गई थी तालाबंदी

बीते साल हाजी इकबाल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में लखनऊ में स्थित 11 करोड़ की कोठी पर तालाबंदी कर दी गई थी. इसके अलावा सहारनपुर में हाजी इकबाल के घरों पर बुलडोजर चलाया जा चुका है. हाजी इकबाल और उनके चार बेटों पर मिर्जापुर और बेहट थानों में धमकाने और अवैध खनन के केस दर्ज हैं. जमीनों पर कब्जे और नाबालिग से दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप भी लगे थे. आरोप था कि मकानों का नक्शा तो पास हुआ था, लेकिन इसके लिए अतिक्रमण किया गया.

इस बार ईडी ने कार्रवाई को लेकर क्या कहा?

अब इस बार ईडी ने जो संपत्ति जब्त की है, उसमें कहा गया है कि हाजी इकबाल ने अवैध खनन से अर्जित 500 करोड़ रुपये से अधिक का इस्तेमाल भूमि खरीदने और विश्वविद्यालय के भवनों के निर्माण में किया है. इस संपत्ति का वर्तमान बाजार मूल्य भूमि और भवन सहित 4,439 करोड़ रुपये है. ईडी का कहना है कि पूर्व एमएलसी फरार है, माना जा रहा है कि वह दुबई में है. हाजी इकबाल के चार बेटे और भाई कई मामलों में जेल में बंद हैं.

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