स्कूल की ज़मीन से हटाया गया अवैध कब्जा: महिला ने दी आत्मदाह की धमकी, अफरा-तफरी का माहौल

जसवंतनगर/इटावा: ग्राम भैंसान में गुरुवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब प्रशासनिक टीम ने न्यायालय के आदेश पर सरकारी स्कूल की भूमि से अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई शुरू की. कार्रवाई के दौरान एक महिला ने मिट्टी का तेल छिड़ककर आत्मदाह की धमकी दी, लेकिन मौके पर तैनात महिला पुलिस कर्मियों की सतर्कता से बड़ा हादसा टल गया. महिला भीड़ का सहारा लेकर मौके से फरार हो गई.

करीब साढ़े छह बीघा सरकारी जमीन पर वर्षों से कब्जा किए जाने का मामला न्यायालय में विचाराधीन था. अदालत ने लगभग एक वर्ष पूर्व ही आदेश जारी कर कब्जा हटाने के निर्देश दिए थे. इसके अनुपालन में प्रशासन द्वारा तीन बार नोटिस जारी किए गए, लेकिन कब्जेदारों ने जमीन खाली नहीं की.

गुरुवार को उप जिलाधिकारी कुमार सत्यम जीत, पुलिस बल और संबंधित विभागों की संयुक्त टीम के साथ गाँव पहुंचे और कब्जा हटाने की कार्रवाई आरंभ की. इस दौरान कुछ कब्जेदारों ने विरोध करते हुए कार्रवाई रोकने की कोशिश की, लेकिन प्रशासन ने बाधाओं को दरकिनार कर जेसीबी की मदद से पक्की सीढ़ियाँ और टिन शेड हटवा दिए. साथ ही अवैध रूप से बनाए गए ढांचे और वहां बांधे गए जानवरों को भी हटाया गया.

कार्रवाई के दौरान दो कब्जेदारों ने 24 घंटे की मोहलत मांगी, जिसे प्रशासन ने सशर्त स्वीकार किया. एसडीएम ने स्पष्ट किया कि तय समयसीमा में कब्जा नहीं हटाने पर सख्त कदम उठाए जाएंगे. खाली कराई जा रही भूमि पर भविष्य में पार्क बनाने की योजना भी है. यह कार्रवाई गाँव निवासी दर्शन सिंह द्वारा दाखिल याचिका के बाद की गई, जिन्होंने स्कूल की ज़मीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए न्यायालय की शरण ली थी.

पुलिस उपाधीक्षक आयुषी सिंह ने बताया कि शांतिपूर्ण कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए जसवंतनगर, बलरई, बढ़पुरा, पछायगांव, महिला थाना और रिजर्व पुलिस बल तैनात किया गया था. इसके अलावा तहसीलदार नेहा सचान, बीडीओ उदयवीर दुबे, क्षेत्रीय लेखपाल और पालिका की टीम ने मिलकर अभियान को सफल बनाया.

वहीं कब्जाधारकों का पक्ष भी सामने आया है. उनका कहना है कि स्कूल की ज़मीन गाटा संख्या 461 में है, जबकि उनकी झोपड़ियाँ गाटा संख्या 462 में बनी थीं, और यह विवाद जिलाधिकारी न्यायालय में विचाराधीन था, जिसकी अगली सुनवाई 7 अगस्त 2025 को निर्धारित थी. आरोप है कि डीएम साहब अदालत में उपस्थित नहीं थे, जबकि उसी दौरान प्रशासनिक कार्रवाई शुरू कर दी गई, जिससे उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला. गांव में दिन भर अफरा-तफरी का माहौल बना रहा, लेकिन प्रशासन ने संयम और सतर्कता के साथ कार्रवाई को अंजाम दिया गया है.

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