श्योपुर जिले में रेत की वैध खदान नहीं होने के बाद भी चंबल नदी से रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन बड़े स्तर पर हो रहा है। जिला मुख्यालय से लेकर कराहल सहित अन्य इलाकों में रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रालियों का काफिला एक साथ निकलता हैं.
पुलिस की सह के चलते रेत माफिया संकरी सड़कों पर घंटों तक दूसरे वाहनों को रास्ता नहीं देते. साइड के लिए कार समेत अन्य वाहन चालकों के विरोध करने पर उनके साथ गाली-गलौज और मारपीट करते हैं. इससे जुड़ी कई शिकायतें पुलिस के पास पहुंच चुकी हैं। कार्रवाई के नाम पर कोई कड़े कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.
रेत भरकर जाने वाले वाहनों से नहीं होती पूछताछ
कराहल निवासी रिंकू का कहना है कि चंबल नदी के घाटों से रेत का बड़े स्तर पर अवैध उत्खनन और परिवहन हो रहा है. मेरे घर के सामने से दिन-रात भारी स्पीड में रेत से भरी ट्रैक्टर ट्रालियां रोजाना निकलती है. बहुत तेज आवाज में गन्दे गंदे गाने भी बजाते हैं तेज रफ्तार में ट्रैक्टर ट्रॉली को भी दौड़ाते है. इतना ही नहीं कराहल थाने के सामने से भी रेत से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली बेखौफ होकर निकल रही है. यहां की पुलिस भी कोई एक्शन इन रेत माफियाओं पर नहीं ले रही है. रिंकू ने आरोप लगाते हुए कहा कि रेत से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली को पुलिस रोकने की हिम्मत तक नहीं करती है. आखिर क्या कारण है।पुलिस की मिलीभगत नहीं होती तो रेत का कारोबार अब तक रुक जाता. इन रेत माफियाओं से इतना भयभीत है कि हम अपने बच्चों को घर से बाहर तक नहीं निकलने देते.
एसडीओपी बोले दो दिन की ड्यूटी के दौरान लौट रहें दिखवाते है
एसडीओपी प्रवीण कुमार अष्ठाना से जब रेत को लेकर सवाल किए तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि में दो दिन की ड्यूटी से लौट रहा हूं. आने के बाद इस मामले को देखता हूं और आगे की कार्रवाई की जाएगी.
अब सवाल तो यही है अगर रेत माफियाओं पर एसडीओपी कार्रवाई करेंगे तो शायद हो सकता है इससे बड़ी जनहानि पर रोक लगाई जा सकती है. अगर रेत माफियाओं पर लगाम नहीं लगाई जाती है तो इससे यह भी साबित हो जाएगा कि पुलिस की भी मिलीभगत या उनको संरक्षण प्रदान हो रहा है.