भारत-इंग्लैंड सीरीज पर ग्लोबल वॉर्मिंग का असर, टीम इंडिया का फायदा तय है!

पूरी दुनिया में पिछले कई सालों से ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर चिंता जताई जा रही है और इसे रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. धरती की जलवायु में बदलाव के गंभीर और बुरे परिणाम लगातार दिख रहे हैं. मगर भारत और इंग्लैंड के बीच होने जा रही टेस्ट सीरीज से इसका क्या लेना-देना है? ये सवाल होना स्वाभाविक है लेकिन ऐसा लग रहा है कि इस ग्लोबल वॉर्मिग का असर सीरीज पर पड़ सकता है और इसका फायदा टीम इंडिया को हो सकता है. इसकी वजह है- बारिश की कमी. क्या है पूरा मामला, चलिए समझाते हैं.

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क्रिकेट जगत में इंग्लैंड की अहमियत सिर्फ इसलिए नहीं है कि वहां से इस खेल की शुरुआत हुई थी और वहां लॉर्ड्स का मैदान है. बल्कि इस देश में टेस्ट क्रिकेट खेलना इसलिए भी खास माना जाता है क्योंकि यहां की गर्मियों में क्रिकेट खेलना काफी अच्छा अनुभव होता है. इंग्लैंड की गर्मियों में भी अक्सर बारिश होती है, जिससे मौसम टेस्ट क्रिकेट के लिए खुशनुमा बना रहता है. हालांकि इसका फायदा तेज गेंदबाजों को मिलता है और ये बल्लेबाजों के लिए मुश्किलें पैदा होती हैं.

यहीं पर ग्लोबल वॉर्मिंग का असर नजर आता दिख रहा है. इंग्लैंड की मशहूर क्रिकेट मैग्जीन विजडन की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि इंग्लैंड में इस बार की गर्मियां पिछले कुछ सालों की तुलना में ज्यादा गर्म और सूखी सी रही हैं. यानि बीते सालों की तुलना में इस बार गर्मियों के मौसम में इंग्लैंड में ज्यादा बारिश नहीं हुई है. मई का महीना पिछले 142 सालों में सबसे ज्यादा गर्म रहा है. इसका असर सीधे भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज पर पड़ता दिख रहा है

असल में आम तौर पर इंग्लैंड के क्रिकेट सीजन यानि गर्मियों के मौसम में भी बारिश होती है या फिर आसमान में बादल छाए होते हैं. इसके चलते तेज गेंदबाजों को हमेशा मदद मिलती है और स्विंग के कारण बल्लेबाज परेशान नजर आते हैं. मगर इस बार बारिश न होने और तेज गर्मी के कारण पिच के जल्दी सूखते जाने की संभावना बनी रहेगी. इसका सीधा-सा मतलब ये है कि इंग्लैंड अपने तेज गेंदबाजों का ज्यादा फायदा नहीं उठा सकता.

टीम इंडिया को मिल सकता है फायदा

मगर इसका तो ये मतलब भी है कि टीम इंडिया के तेज गेंदबाज भी ज्यादा असरदार नहीं होंगे. ऐसा हो भी सकता है लेकिन यहीं पर टीम इंडिया को इन परिस्थितियों का फायदा मिलेगा और इसकी वजह है स्पिनर. भारतीय टीम इंग्लैंड में 2 स्पिनर्स को कभी-कभार ही प्लेइंग-11 में जगह देती रही है. अब अगर मौजूदा शुष्क परिस्थितियां बनी रहती हैं तो टीम इंडिया के पास रवींद्र जडेजा के अलावा कुलदीप यादव को उतारने का मौका भी रहेगा.

स्पिन अटैक के मामले में भारत जाहिर तौर पर इंग्लैंड से बेहतर है. साथ ही इंग्लैंड के बल्लेबाजों को इससे पहले भी कुलदीप की स्पिन के सामने परेशान देखा गया है. ऐसे में अगर टीम इंडिया 2 स्पिनर्स को उतारती है तो यहां पलड़ा भारत के पक्ष में भारी हो सकता है. ऐसे में टीम इंडिया के पास इस सीरीज में इंग्लैंड को बैकफुट पर धकेलने का मौका है.

इंग्लैंड से ही बेईमानी करेगा मौसम?

सिर्फ इतना ही नहीं, इस साल के काउंटी चैंपियनशिप के आंकड़े भी इस हकीकत को बयान करते हैं. विजडन के आंकड़ों के मुताबिक, भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के 5 वेन्यू में इस साल काउंटी चैंपियनशिप के जितने भी मुकाबले खेले गए हैं, उनमें स्पिनर्स का योगदान अहम रहा है. आंकड़े बताते हैं कि इन पांचों वेन्यू में कुल मिलाकर जितनी भी गेंदबाजी स्पिनर्स ने की है, उसमें पारी-दर-पारी औसत में सुधार हुआ है. पहली पारी में जहां विकेट का औसत 44.2 रहा है, तो वहीं दूसरी पारी में ये 34.5 है. तीसरी पारी में ये और बेहतर होता है और 32.6 तक पहुंचा है, जबकि चौथी पारी में तो 30.8 का ही रहा है. यानि इस बार इंग्लैंड का मौसम उसके लिए बेईमान और भारत के लिए मेहरबान हो सकता है.

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