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भारत की डिप्लोमेसी का असर… गलवान घाटी से लौटी चीनी सेना, बीजिंग ने कहा- एक दूसरे का शोषण करने से बचें दोनों देश

चीनी विदेश मंत्रालय ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी सहित चार जगहों पर सैनिकों की वापसी का उल्लेख करते हुए शुक्रवार को कहा कि रूस में अपनी बैठक के दौरान भारत और चीन ने द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई है.

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चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने गुरुवार को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स सदस्य देशों में सुरक्षा मामलों के लिए जिम्मेदार उच्च-स्तरीय अधिकारियों की बैठक से इतर बातचीत की थी. इस दौरान दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दों पर हाल के विचार-विमर्श में हुई प्रगति पर चर्चा की.

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से जब प्रेस वार्ता के दौरान पूछा गया कि क्या दोनों देश पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से अधिक समय से द्विपक्षीय संबंधों पर जमी बर्फ को हटाने के करीब हैं? इस पर माओ ने कहा कि दोनों सेनाओं ने चार क्षेत्रों से वापसी की है और सीमा पर हालात स्थिर बने हुए हैं.

चार क्षेत्रों से पीछे हटी दोनों देशों की सेनाएं- चीन

माओ ने कहा, “हाल के वर्षों में, दोनों देशों की अग्रिम मोर्चे पर तैनात सेनाओं ने चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में चार क्षेत्रों में पीछे हटने का काम पूरा किया है, जिसमें गलवान घाटी भी शामिल है. चीन-भारत सीमा के हालात आम तौर पर स्थिर और नियंत्रण में है.” उनकी टिप्पणी विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा जिनेवा में दिए उस बयान के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन के साथ ‘‘सैनिकों की वापसी से जुड़ी समस्याओं’’ का लगभग 75 प्रतिशत समाधान हो गया है, लेकिन बड़ा मुद्दा सीमा पर बढ़ता सैन्यीकरण है.

डोभाल और वांग के बीच हुई बैठक के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने विज्ञप्ति में कहा कि दोनों पक्षों ने यह विश्वास व्यक्त किया कि चीन-भारत संबंधों की स्थिरता दोनों देशों के लोगों के बुनियादी और दीर्घकालिक हित में है तथा क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए अनुकूल है.

द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावे देने पर हुई सहमति

इसमें कहा गया है कि चीन और भारत दोनों देशों के प्रमुखों द्वारा की गई आम सहमति को लागू करने, आपसी समझ और विश्वास को बढ़ाने, निरंतर संचार बनाए रखने और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए राजी हुए हैं. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, वांग, जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य भी हैं, ने इस बात पर जोर दिया कि अशांत विश्व का सामना करते हुए, चीन और भारत को दो प्राचीन पूर्वी सभ्यताओं और उभरते विकासशील देशों के रूप में स्वतंत्रता पर कायम रहना चाहिए, एकता और सहयोग का चुनाव करना चाहिए तथा एक-दूसरे का शोषण करने से बचना चाहिए.

वांग ने उम्मीद जताई कि दोनों पक्ष व्यावहारिक दृष्टिकोण से अपने मतभेदों को ठीक से संभालेंगे और एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने के सही तौर-तरीके ईजाद करेंगे और चीन-भारत संबंधों को स्वस्थ, स्थिर और सतत विकास के रास्ते पर वापस लाएंगे. उन्होंने कहा कि गुरुवार की बैठक के दौरान, वांग और डोभाल दोनों ने सीमा मुद्दों पर हाल के परामर्श में हुई प्रगति पर चर्चा की और दोनों देशों के नेताओं के बीच आम सहमति को आगे बढ़ाने, आपसी समझ और विश्वास को बढ़ाने, द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए स्थितियां बनाने और इस दिशा में संवाद बनाए रखने पर सहमति जताई गई.

विदेश मंत्रालय का बयान

विदेश मंत्रालय (एमईए) द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत और चीन ने बृहस्पतिवार को पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के शेष बिंदुओं से सैनिकों की पूर्ण वापसी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ‘तत्परता’ के साथ काम करने और अपने प्रयासों को ‘दोगुना’ करने पर सहमति जताई. विज्ञप्ति में कहा गया कि बैठक में डोभाल ने वांग को बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के प्रति सम्मान द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति की वापसी के लिए आवश्यक है.

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