सरकारी आवास से नकदी बरामदगी के मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए 145 सांसदों के हस्ताक्षर वाला प्रस्ताव आज सोमवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंप दिया गया है. संसद का मानसून सत्र आज से ही शुरू हुआ. हालांकि दोनों सदनों की कार्यवाही हंगामेदार रही, इस बीच लोकसभा में जस्टिस वर्मा को हटाने को लेकर प्रस्ताव स्पीकर को सौंप दिया गया.
संविधान के अनुच्छेद 124, अनुच्छेद 217 और 218 के तहत कांग्रेस, तेलुगू देशम पार्टी, (TDP), जनता दल यूनाइटेड (JDU), जनता दल सेकुलर (JDS), जनसेना पार्टी (Jansena party), असम गण परिषद (AGP), शिवसेना (एकनाथ शिंदे), लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-एम (CPM) समेत कई दलों के सांसदों ने महाभियोग लाए जाने से जुड़े ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए.
इन नेताओं ने किए हस्ताक्षर
हस्ताक्षर करने वालों में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के अलावा बीजेपी से सांसद अनुराग सिंह ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूड़ी, पीपी चौधरी, सुप्रिया सुले और केसी वेणुगोपाल आदि शामिल हैं. संसद अब जस्टिस के ऊपर लगे आरोपों की जांच करेगी. जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर इस साल 15 मार्च 2025 को काफी संख्या में 500 रुपये के जले-अधजले नोट मिले थे.
हटाने के लिए क्या प्रक्रिया
इससे पहले केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कल रविवार को बताया कि जस्टिस वर्मा को हटाने के सिलसिले में संसद में प्रस्ताव पेश करने के लिए 100 से ज्यादा सांसदों ने एक नोटिस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. इस तरह से जस्टिस वर्मा के खिलाफ लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश करने के लिए आवश्यक समर्थन हासिल हो गया है.
दिल्ली में कल हुई सर्वदलीय बैठक के बाद रिजिजू ने कहा, “हस्ताक्षर प्रक्रिया जारी है. अभी तक 100 से अधिक सांसद पहले ही हस्ताक्षर कर चुके हैं.” साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि यह कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) को तय करना है कि महाभियोग से जुड़ा प्रस्ताव कब पेश किया जाएगा.
किसी भी जज को हटाने के प्रस्ताव पर लोकसभा में कम से कम 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर होने चाहिए. बताया जा रहा है कि यह प्रस्ताव लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है.
क्या सत्र के पहले हफ्ते में यह प्रस्ताव लाया जा सकता है, इस पर रिजिजू ने कहा, “मैं प्राथमिकता के आधार पर किसी भी चीज पर कोई कमेंट नहीं कर सकता, क्योंकि जब तक यह प्रस्ताव स्पीकर की अनुमति से बीएसी की ओर से पारित नहीं हो जाता, मेरे लिए कुछ भी कहना कठिन है.” उन्होंने पहले ही बताया था कि जस्टिस वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर सभी राजनीतिक दल सहमत हैं.