द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का महत्व: जानें व्रत की कथा और इसकी शुरुआत कैसे हुई?

हिंदू धर्म शास्त्रों में चतुर्थी तिथि बहुत अधिक महत्वपूर्ण बताई गई है. चतुर्थी तिथि विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित है. हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में जो चतुर्थी तिथि पड़ती है उसे द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन और व्रत किया जाता है.

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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा और व्रत के साथ-साथ चंद्रदेव की भी उपासना की जाती है. इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य की कामना के लिए व्रत करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर व्रत करने से विघ्नों का नाश और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कब है. कैसे इस व्रत की शुरुआत हुई.

कब है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी ?

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 15 फरवरी को रात को 11 बजकर 52 मिनट शुरु होगी. ये तिथि 17 फरवरी को रात 2 बजकर 15 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 16 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा.

ऐसे हुई व्रत की शुरुआत

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती किसी बात को लेकर भगवान शंकर से नाराज हो गईं थी. तब भगवान शिव ने माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत किया था. इसके बाद माता पार्वती प्रसन्न हुईं और शिवलोक लौट आईं. यह व्रत माता पार्वती के साथ-साथ गणेश जी को भी प्रिय है, इसलिए इस व्रत को द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है.

पूजा विधि

  • द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रात: काल स्नान करें.
  • फिर मंदिर को साफ करके वहां लकड़ी की चौकी रखें. उसपर लाल कपड़ बिछाकर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर रखें.
  • फिर विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करें.
  • पूजा के समय गणेश जी को पीले गेंदे के फूल, पांच हरी दूर्वा, पान और फल चढ़ाएं.
  • भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाएं.
  • भगवान गणेश के मंत्रों का जाप अवश्य करें.
  • अंत में आरती करके पूजा का समापन करें.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से संतान को लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य का आशिर्वाद तो मिलता ही है. साथ ही इस दिन पूजन और व्रत करने वालों को विशेष लाभ मिलता है. इस दिन व्रत और पूजन करने वालों के सभी संकट भगवान गणेश दूर करते हैं. साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

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