छत्तीसगढ़ में धर्म-परिवर्तन से 60 दिन पहले देनी होगी जानकारी:10 राज्यों के अधिनियम की हुई स्टडी, अब जल्द लागू होगा नया धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मुद्दे पर ईसाई समुदाय और हिंदू संगठनों के बीच लगातार हो रहे विवाद के बीच राज्य सरकार धार्मिक स्वतंत्रता संशोधन विधेयक बना रही है। इस विधेयक को विधानसभा सत्र के दौरान सार्वजनिक कर पारित किया जाएगा। अब धर्म परिवर्तन से 60 दिन पहले जानकारी देनी होगी।

इसे लेकर ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत 10 राज्यों के अधिनियम की स्टडी की गई। गृहमंत्री विजय शर्मा ने 52 मीटिंग लेकर मसौदा तैयार करवाया है। अब विधानसभा में जल्द इस पर मुहर लग सकती है। डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने इस संबंध में संकेत दिए है।

भाजपा विधायक ने चार महिलाओं की कराई घर वापसी

इस बीच रायपुर दक्षिण विधायक पुरंदर मिश्रा ने रविवार को धर्मांतरण कर चुकी 4 महिलाओं की घर वापसी कराई है। उन्होंने महिलाओं के पैर धोकर, उन्हें शॉल और श्रीफल भेंट किया। विधायक ने बताया कि, ‘जगन्नाथ सेना’ हर रविवार सुबह 9 से 11 बजे धर्मविरोधी गतिविधियों को रोकने का प्रयास करेगी।

इससे पहले कुंदरापारा से मधुपिल्लै चौक तक धर्मांतरण के विरोध में पदयात्रा निकाली गई। मिश्रा ने कहा कि, जगन्नाथ सेना उड़िया बस्तियों में बढ़ते धर्मांतरण की सूचना के बाद बनी है। सेना शासन-प्रशासन को सूचित करने के साथ भीतर खाते मिशनरियों की गतिविधियों पर नजर रखेगी।

अभी धर्मांतरण की प्रक्रिया को वैधानिक मान्यता देने वाला कोई नियम नहीं

छत्तीसगढ़ में वर्तमान में धर्मांतरण की प्रक्रिया को वैधानिक मान्यता देने वाला कोई स्पष्ट नियम नहीं है। अक्सर देखा जाता है कि, लोग किसी अन्य धर्म के अनुयायी की बातों या प्रभाव में आकर उस धर्म को अपनाते हैं। उसकी पूजा-पद्धतियों को मानकर खुद को उस धर्म का अनुयायी घोषित कर देते हैं।

अब इस पूरी प्रक्रिया को कानूनी ढांचे में लाने की तैयारी की जा रही है। अगर कोई व्यक्ति इस प्रस्तावित नियम के बाहर जाकर धर्म परिवर्तन करता है, तो उसे वैध नहीं माना जाएगा। साथ ही, यदि किसी पर दबाव बनाकर या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है, तो उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

फिलहाल, गृह विभाग अन्य राज्यों के बनाए गए ऐसे कानूनों का अध्ययन कर रहा है। जिससे छत्तीसगढ़ में भी एक स्पष्ट और मजबूत नियम तैयार किया जा सके।

52 से ज्यादा बैठक हुए, तब तैयार हुआ मसौदा

डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने बताया कि, धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम को तैयार करने के लिए 52 से ज्यादा बैठकों का आयोजन किया गया। इन बैठकों में दूसरे राज्यों में लागू अधिनियम के पक्ष रखे गए। संशोधन में क्या बदलाव होगा, इसकी चर्चा की गई। संशोधन में कानूनी पहलू क्या होगा? इस पर एक्सपर्ट से राय ली गई। मसौदा तैयार हो गया है।

शीतकालीन विधानसभा सत्र में हो सकता है सार्वजनिक

बीजेपी और गृहमंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, साय सरकार संशोधित धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सार्वजनिक कर सकती है। विधानसभा में पेश करने से पहले मसौदा में मामूली संशोधन करने की बात विभागीय अधिकारियों ने दोहराई है।

10 राज्यों में लागू अधिनियम की स्टडी की

राज्यों के कानूनों का अध्ययन कर छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण रोकने के लिए अधिनियम का प्रारूप तैयार किया गया है। इस नए अधिनियम का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए ओडिशा, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, और कर्नाटक जैसे राज्यों में लागू कानून का अध्ययन किया गया।

नए कानून के लागू होते ही किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन से पहले प्रशासन को सूचना देनी होगी। ड्राफ्ट में 17 महत्वपूर्ण बिंदू शामिल किए गए हैं, जिसमें प्रलोभन या दबाव देकर धर्म बदलवाने पर सख्त सजा का प्रावधान रहेगा।

गृह विभाग ने बताया कि, इसे विधानसभा में पेश करने से पहले कुछ संशोधन किया जाएगा। अधिनियम का उद्देश्य धर्मांतरण प्रक्रिया को नियमबद्ध और पारदर्शी बनाना है ताकि किसी भी तरह का दुरुपयोग रोका जा सके।

 

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