हनुमानगढ़: जंक्शन में सीवरेज की सफाई के दौरान व्यवस्थाओं की पोल उस समय खुल गई जबकि सीवरेज की सफाई के दौरान दो कर्मचारी बेहोश हो गए जबकि एक की मौत हो गई. जानकारी के मुताबिक जंक्शन के कलक्ट्रेट मार्ग पर स्थित रिलायंस मॉल के पास सीवरेज चैंबर की सफाई के दौरान जहरीली गैस की चपेट में आकर तीन मजदूर बेहोश हो गए. जानकारी के मुताबिक, सुबह करीब 10 बजे, तीन मजदूर सफाई कार्य के लिए सीवरेज चैंबर में उतरे थे. सफाई के दौरान अचानक जहरीली गैस के असर से उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और वे जोर-जोर से रोने लगे.
उसी समय पास से गुजर रहे पुलिस जवान सुभाष मांझू ने मदद के लिए उठी चीखें सुनीं. बिना देर किए वे मौके पर पहुंचे, हालात का अंदाजा लगाया और तुरंत एम्बुलेंस को बुलाया. सुभाष मांझू ने हिम्मत दिखाते हुए एक मजदूर को बाहर निकाला और अस्पताल भिजवाया, जिससे दो की जान समय रहते बच गई. उपचार के दौरान टाऊन में सोरगर मौहल्ला निवासी करन पुत्र मंगत सिंह सोरगर की मौत हो गई. जबकि सूरज व कमलजीत आईसीयू में उपचाराधीन है.
एक मजदूर की मौत होने पर मृतक के परिजनों ने ट्रॉमा सेंटर के बाहर धरना शुरू कर दिया है. धरने के दौरान मजदूर परिवार को सांत्वना देने के लिए भाजपा जिलाध्यक्ष प्रमोद डेलू, भाजपा प्रत्याशी रहे अमित सहू, टाउन नगर मंडल अध्यक्ष नितिन बंसल और आशीष पारिख भी पहुंचे. परिजनों की मांग है की 50 लाख मुआवजा व सीएसआई रमनदीप कौर, नप आयुक्त सुरेंद्र यादव और ठेकेदार पर मुकदमा दर्ज हो. वहीं, दो अन्य मजदूरों की हालात बिगड़ते देख उन्हें भी बीकानेर रेफर किया गया है.
सूचना मिलते ही नगर परिषद प्रशासक एवं एडीएम उम्मेदीलाल मीणा तथा आयुक्त सुरेंद्र सिंह यादव मौके पर पहुंचे. उन्होंने घटना की गंभीरता को देखते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए. सुप्रीम कोर्ट के सपष्ट आदेश है कि सीवर में सफाई के लिए किसी सफाईकर्मी को मैन्युअली नहीं उतारा जाएगा.यदि ऐसी स्थिति में किसी सफाई कर्मी की मौत होती है तो परिजन को 30 लाख का मुआवजा देना अनिवार्य है. वहीं यदि हादसे में दिव्यांगता होती है तो 20 लाख का मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है.
सुप्रीम कोर्ट की यह व्यवस्था वर्ष 2023 में डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ मामले में दी गई थी. इस मामले में जस्टिस एस. रविंद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने मैनुअल स्कैवेंजिंग और मैन्युअल सीवर सफाई पर रोक लगाते हुए कई सख्त निर्देश जारी किए थे. कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि कोई अधिकारी जानबूझकर सफाईकर्मियों को जान जोखिम में डालकर सीवर में उतारता है, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर आपराधिक कार्रवाई की जाए.
इस पूरी घटना ने यह भी साबित कर दिया कि सुरक्षा मानकों की अनदेखी और आपात उपकरणों की कमी आज भी हमारी प्रशासनिक तैयारी की सबसे कमजोर कड़ी है. दूसरी ओर, चैंबर में पहले से मौजूद दो मजदूरों तक पहुंचने में करीब आधे घंटे का समय लग गया. हालांकि दूसरी एम्बुलेंस समय पर पहुंच गई थी, लेकिन उसमें चैंबर में उतरने योग्य अतिरिक्त ऑक्सीजन सिस्टम नहीं था. इस कारण रेस्क्यू टीम अंदर नहीं जा पाई और मजदूर जहरीली गैस के माहौल में फंसे रहे. मौके पर मौजूद लोगों के चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी, लेकिन प्रशासनिक अमला बेबस नज़र आया.
भीड़ लगातार बढ़ रही थी और हर कोई मजदूरों को जल्द बाहर निकालने की मांग कर रहा था, मगर उपकरणों की कमी ने बचाव कार्य को धीमा कर दिया. इसी बीच नगर पालिका के ठेके पर कार्यरत एक अन्य मजदूर मलकीत सिंह ने साहस दिखाया. उन्होंने मुंह पर रुमाल बांधा और बिना किसी उन्नत सुरक्षा उपकरण के चैंबर में उतर गए. उनकी बहादुरी ने हालात बदल दिए, दोनों बेहोश मजदूरों को बाहर निकाला गया और तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया. चिकित्सकों ने बताया कि दो मजदूरों की स्थिति फिलहाल खतरे से बाहर है.
कांग्रेस नेता मनीष मक्कासर ने कहा कि यह हादसा एक बार फिर सीवरेज सफाई के दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी को सामने लाता है. जहरीली गैस के खतरे को लेकर पहले भी कई हादसे हो चुके हैं, लेकिन आज भी न तो गैस डिटेक्टर उपलब्ध होते हैं और न ही चैंबर में उतरने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन सिस्टम.
स्थानीय लोगों का कहना था कि अगर रेस्क्यू उपकरण मौके पर होते तो आधे घंटे की देरी टाली जा सकती थी. यह देरी मजदूरों की जिंदगी के लिए और भी खतरनाक साबित हो सकती थी. घटना के बाद घटनास्थल पर अफरातफरी, चिंता और आक्रोश का माहौल रहा. लोग आपस में चर्चा कर रहे थे कि प्रशासन की इस लापरवाही के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. कुछ लोगों ने कहा कि हर सफाई से पहले गैस की जांच और सुरक्षात्मक उपकरण अनिवार्य किए जाएं, तभी ऐसे हादसे रुक सकते हैं.