उत्तर प्रदेश के मेरठ के विक्टोरिया पार्क में चल रही रामकथा में जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में आ गए हैं. 8 सितंबर से जारी इस कथा के दौरान उन्होंने शिक्षा व्यवस्था और महिलाओं के अधिकारों को लेकर कई बातें कहीं. रामभद्राचार्य ने कहा कि केवल हिंदू धर्म ही ऐसा है जहां महिलाओं को देवी के रूप में सम्मानित किया जाता है, उन्होंने अन्य धर्मों को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि वहां महिलाओं को बेबी या बीवी कहा जाता है.
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने इस्लाम धर्म पर भी तंज कसते हुए कहा कि वहां महिलाओं की स्थिति खराब है, उन्होंने कहा कि इस्लाम में महिलाओं की दुर्गति होती है, एक महिला से 25-25 बच्चे पैदा करने और फिर तीन बार तलाक-तलाक देकर छोड़ने जैसी बातें वहां देखने को मिलती हैं, उन्होंने दावा किया कि हिंदू परंपरा में ऐसा नहीं है और यहां मां को पिता से भी बड़ा दर्जा दिया जाता है.
कॉन्वेंट स्कूलों पर उठाए सवाल
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पर भी अपनी राय रखी, उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वो अपने बच्चों को कॉन्वेंट स्कूलों में न भेजें, बल्कि उन्हें सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने वाले सरस्वती विद्यालय में पढ़ाएं. उन्होंने कहा कि संतान तीन हो, चाहे से तीनो ही बेटा या फिर बेटी कोई भी हो, उन्हें संस्कारी बनाना सबसे जरूरी है.
महिलाओं के आरक्षण पर राय
रामभद्राचार्य ने संसद में महिलाओं को दिए गए 33 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में और ज्यादा अधिकार मिलने चाहिए. उनका कहना था कि समाज में महिलाओं को ऊंचा दर्जा देने की परंपरा हिंदू धर्म से ही शुरू हुई है.
यह पहली बार नहीं है जब स्वामी रामभद्राचार्य चर्चा में आए हों. हाल ही में उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को मिनी पाकिस्तान बताकर भी विवाद खड़ा कर दिया था. रामकथा में दिए गए उनके इन बयानों को लेकर लोगों के बीच जोरदार बहस जारी है.