रायपुर में आदिवासी बच्चों से बर्तन मंजवाकर पैर दबवाए:सरकारी स्कीम में पढ़ाने के बहाने लाए थे घर; 10 साल बाद गाजियाबाद से महिला गिरफ्तार

रायपुर में आदिवासी बच्चों को सरकारी स्कीम में पढ़ाने के बहाने उनका शोषण किया गया। ये शोषण सामाजिक संस्था के जरिए एक दंपती ने किया है। NGO के माध्यम से बच्चों को पति-पत्नी कांकेर से रायपुर लेकर आए थे।

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रायपुर में पढ़ाने का झांसा दिया और फिर अपने घर में बर्तन मंजवाने लगाए। इतना ही नहीं दंपती बच्चों से झाड़ू-पोछा और पैर भी दबवाते थे। साथ ही बच्चों को अपने पेरेंट्स से भी बात करने के लिए मना कर दिया। किसी तरह बच्चों ने जब अपने परिजनों को आपबीती बताई तो पूरे मामले का खुलासा हुआ।

फर्जी संस्था के नाम से रजिस्ट्रेशन कराया

 

यह पूरा मामला साल 2014-15 का है। रायपुर के कबीर नगर फेज-4 में सतीश शर्मा उर्फ क्षितिज अपनी पत्नी बिनीता शर्मा के साथ रहता था। उन्होंने बस्तर मित्र फाउंडेशन के नाम से झूठी जानकारी देकर मंत्रालय से संस्था का रजिस्ट्रेशन करवाया। इसके बाद शिक्षा विभाग से अप्रूवल लेकर आदिम जाति और अनुसूचित जाति के स्टूडेंट के प्रोग्रेस के लिए काम करने की बात कही।

कांकेर से 3 बच्चों को अपने घर पर रखा

आरोपी पति-पत्नी सरकार की उत्कर्ष विद्यार्थी योजना/जवाहर उत्कर्ष योजना के तहत कांकेर के 3 आदिवासी बच्चों को अपने घर लेकर आ गए। फिर पूरे समय घर का काम करवाने लगे। किसी तरह जब परिजन तक ये बाद पहुंची तो पूरे मामले की शिकायत हुई। पुलिस ने इस मामले में आरोपी सतीश शर्मा को गिरफ्तार कर लिया। जबकि उनकी पत्नी बिनीता शर्मा फरार हो गई।

पति को मिली है आजीवन कैद की सजा

इस मामले में कोर्ट ने साल 2022 में आरोपी सतीश शर्मा को आजीवन कैद की सजा सुनाई है। पुलिस ने अनुसूचित जाति जनजाति एक्ट, किशोर न्याय और बालकों का संरक्षण एक्ट के अलावा 420 जैसी धाराएं भी आरोपियों पर लगी। इस मामले में पुलिस ने अब 10 साल बाद फरार महिला बिनीता शर्मा को भी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया है।

 

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