ट्रंप के टैरिफ का जवाब, भारत 40 देशों के साथ नई डील की तैयारी में

अमेरिका द्वारा भारतीय सामान पर टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद भारत ने बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। भारत अब अमेरिका पर निर्भर रहने के बजाय 40 अन्य देशों के साथ नए व्यापारिक समझौते करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इन देशों में एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कई उभरते बाजार शामिल हैं।

सूत्रों के मुताबिक, भारत का फोकस खासकर टेक्सटाइल, फार्मा, स्टील, केमिकल्स और कृषि उत्पादों के निर्यात पर होगा। अमेरिकी बाजार में टैरिफ बढ़ने से भारतीय कपड़ा उद्योग को गहरा झटका लगा है। ऐसे में सरकार वैकल्पिक बाजारों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत इन 40 देशों के साथ समझौते करने में सफल होता है, तो यह निर्यात के नए रास्ते खोल देगा और घरेलू उद्योग को राहत मिलेगी।

व्यापार मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, भारत ने संभावित साझेदार देशों के साथ प्रारंभिक बातचीत शुरू कर दी है। इनमें ब्राजील, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे बड़े उपभोक्ता बाजार भी शामिल हैं। भारत का लक्ष्य इन देशों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण वस्तुएं उपलब्ध कराना है, ताकि निर्यात का संतुलन अमेरिका पर निर्भर न रहे।

उद्योग जगत ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। टेक्सटाइल सेक्टर से जुड़े कारोबारी संगठनों का कहना है कि अमेरिकी टैरिफ ने उनके लिए चुनौतियां खड़ी कर दी थीं, लेकिन नए बाजारों के खुलने से रोजगार और उत्पादन दोनों को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, फार्मा उद्योग भी इसे अवसर के रूप में देख रहा है क्योंकि कई विकासशील देशों में भारतीय दवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है।

आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि भारत की यह रणनीति “डाइवर्सिफिकेशन” यानी व्यापार को फैलाने की दिशा में सही कदम है। लंबे समय तक केवल अमेरिका और यूरोप पर निर्भर रहने से बार-बार ऐसी चुनौतियां आती रही हैं। अब भारत का मकसद है कि उसके उत्पाद दुनिया के अधिक से अधिक बाजारों तक पहुंचें।

इस पूरी कवायद से यह साफ है कि भारत ट्रंप सरकार के टैरिफ को सीधी चुनौती देने के मूड में है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत किन-किन देशों के साथ अंतिम समझौते करता है और इससे भारतीय उद्योगों को कितना फायदा होता है।

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