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बिहार के शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल, एक ही कमरें में 9वीं से 12वीं तक के बच्चे पढ़ने को मजबूर

समस्तीपुर : बिहार में शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता को और बेहतर करने के दावे तो सरकार कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के नाम पर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। समस्तीपुर जिले का एक ऐसा विद्यालय है, जहां 9वीं से लेकर 12वीं तक के बच्चों की पढ़ाई एक ही कमरे में हो रही है।

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दरअसल, समस्तीपुर जिला मुख्यालय के अंतर्गत मोहनपुर स्थित राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय को अपग्रेड कर 9वीं से 12वीं तक कर दिया गया जिससे 200 से अधिक बच्चे नामांकित हो गए और इन बच्चों की पढ़ाई एक ही कमरे में शुरू कर दी गई अर्थात् नामांकन बढ़ा तो प्रधानाध्यापक के कक्ष में ही बच्चे पढ़ने लगे।

इन दिनों सरकारी विद्यालयों में परीक्षाएं चल रही है और जिस कारण 6 बच्चे एक ही बेंच पर बैठने को मजबूर हैं। वहीं, कुछ बच्चे बरामदे में बैठ रहे हैं। वहीं, अन्य वर्ग के बच्चों को दूसरी जगह शिफ़्ट तो किया गया है उसके बावजूद बच्चों को बैठने की उचित व्यवस्था नहीं मिल पा रही है।

एक ही कमरें में बच्चे बैठने को मजबूर

ग्रामीण का कहना है कि अभी बच्चों की परीक्षा चल रही है और यहां दो ही कमरें हैं जिसमें एक कमरें में हैड मास्टर बैठते हैं और दूसरे रूम में सारे बच्चे बैठने को मजबूर है। यहाँ सिर्फ़ एक चापाकल है साथ ही शौचालय की उचित व्यवस्था नहीं है, जिससे बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा विद्यालय में चार शिक्षक ही मौजूद हैं जिससे सभी विषयों की पढ़ाई नहीं हो पाती है।

“चारों वर्गों को किसी तरह पढ़ाया जा रहा”

इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक राम कुमार सिंह का कहना कि इस विद्यालय में कुल 200 छात्र पढ़ते हैं। 9वीं से 12वीं के लिए दो कमरा दिया गया है एक कमरा में विद्यालय संचालित होता है। वहीं, दूसरे कमरें में स्मार्ट क्लास और प्रधानाध्यापक का कमरा है। किसी तरह दो कमरें में ही विद्यालय संचालित है। विद्यालय में कुल चार शिक्षक है जिसमें 9वीं से 10वीं तक के तीन शिक्षक है और 11वीं से 12वीं तक के लिए एक ही शिक्षक है। हम लोगों के द्वारा ही चारों वर्गों को किसी तरह पढ़ाया जाता है। रामकुमार सिंह का कहना है कि विद्यालय में और भी शिक्षक होते हैं तो अच्छे से वर्ग का संचालन होता। अगर कमरे होते तो लैब की व्यवस्था की जाती। हालांकि विभाग को इसकी सूचना दी गई है।

“जमीन की व्यवस्था होते ही भवन का निर्माण होगा”

वहीं, जिला शिक्षा पदाधिकारी का कहना है कि प्रत्येक पंचायत में हाईस्कूल स्थापित करना था उसी के तहत मध्य विद्यालय को उत्क्रमित किया गया था। हालांकि उस विद्यालय के पास जमीन नहीं है जिस वजह से दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षा विभाग के द्वारा जमीन की तलाश की जा रही है जैसे ही जमीन उपलब्ध हो जाएगी भवन बना दिया जाएगा। वहीं, शिक्षकों की कमी को लेकर उनका कहना है कि टीआरई 3 के तहत शिक्षक आएंगे तो हमारा जो अनुपात है वो पूरा हो जाएगा।

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