उमरिया (Umari Health News)। अमरपुर स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम जोखिम लेकर अकेले अपने दम पर एक महिला की तीन बच्चियों की डिलीवरी करवा दी। अब सभी दूर एएनएम की तारीफ हो रही है और लोग कर रहे हैं कि यदि मन में सेवा भावना और कर्तव्यों के प्रति समर्पण हो, तो साधन की कमी आड़े नहीं आ सकती।
जिले के अमरपुर स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ एएनएम अभिलाषा सिंह रोज की तरह 27 मई को सुबह 8 बजे से अपनी ड्यूटी पर थीं। उस दिन उनके साथ महज एक स्वीपर ही मौजूद थी, जो दिन में खाना-खाने अपने घर चली गई।
दोपहर करीब 2 बजे जैसे ही अभिलाषा को एंबुलेंस चालक ने एक क्रिटिकल केस आने की जानकारी दी, तो वे भोजन का ख्याल छोड़ कर अकेले ही डिलीवरी की तैयारी में जुट गई। करीब 2.30 पर महिला उर्मिला पति गोकुल बर्मन, उम्र 30 वर्ष निवासी ग्राम पड़वार को स्वास्थ्य केंद्र लाया गया।
एएनएम ने तत्काल आवश्यक दवाएं दीं। थोड़ी ही देर में उर्मिला को 3.27 बजे पहली डिलीवरी हो गई। महिला ने इसके कुछ ही मिनट बाद 3.30 बजे दूसरी और 3.56 पर तीसरी कन्या शिशु को जन्म दे दिया।
अपनी सूझबूझ से तीन सफल डिलीवरी कराने के बाद एएनएम अभिलाषा सिंह ने चिकित्सक डॉ. शिव प्रजापति को सूचना दी, तो वे केंद्र पहुंच गए।
बरही अस्पताल में कराया भर्ती
बिना किसी साधन और स्टाफ के एएनएम द्वारा तीन बच्चियों की डिलीवरी तो करा दी गई, पर सुविधाओं की कमी के चलते अमरपुर स्वास्थ्य केंद्र में जच्चा-बच्चा को रखना सही नहीं था। ऐसे मे डॉ. शिव प्रजापति ने आवश्यक उपचार के उपरांत उन्हे बरही अस्पताल ले जाने की सलाह दी।
बताया गया है कि महिला की पहली बच्ची का वजन 2.5 तथा दूसरी का 2.3 किलो है जबकि तीसरी बच्ची महज 1.5 किलो की ही है। बहरहाल माता और उनकी तीनों बच्चियां पूरी तरह स्वस्थ हैं।
सेवा के रिस्क को समझना जरूरी
अमरपुर स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम अभिलाषा ने मौके की नजाकत को देखते हुए पूरी निष्ठा और सेवा भावना के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। यही वजह है कि प्रसूता और शिशुओं को नव जीवन मिल सका। उनके इस कार्य की जिले भर मे प्रशंसा हो रही है।
एएनएम ने सेवा भावना को महत्व देते हुए पूरा जोखिम उठाया और उस भय को दरकिनार कर दिया, जो मामला बिगड़ने की कल्पना से उन पर हावी हो सकता था। अधिकांश मामलों में डॉक्टर यही सोच कर हाथ खड़े कर देते हैं, कि कहीं ऊपर-नीचे हुआ तो समस्या खड़ी होगी। ऐसे में नागरिकों को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों का इरादा मरीज के जीवन की रक्षा का होता है, केस बिगाड़ने की नहीं।