देश में जघन्य अपराध के मामलों में ही किसी दोषी को मौत की सजा सुनाई जाती है. हाल में जारी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट से भी यह सामने आया है कि लगातार दूसरे साल 2024 में भी सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा के किसी मामले की पुष्टि नहीं की है. सर्वोच्च अदालत के पास बीते साल ऐसे 6 मामले आए थे जिनमें से कोर्ट ने 5 को उम्रकैद में बदल दिया, जबकि एक केस में दोषी को बरी किया गया है. वहीं साल 2024 में निचली अदालतों ने अलग-अलग मामलों में 139 लोगों को मौत की सजा सुनाई है.
मौत के इंतजार में 500 से ज्यादा कैदी
रिपोर्ट में बताया गया है कि निचती अदालतों की ओर से सुनाई गई मौत की सजाओं में 87 मर्डर केस और 35 यौन अपराधों से जुड़े मामले शामिल हैं. वहीं साल 2023 में निचली अदालतों की ओर से 122 मौत की सजाएं सुनाई गई थीं, जिनमें यौन अपराधों से जुड़े 58 और हत्या से जुड़े 40 मामले शामिल थे. फिलहाल देश की अलग-अलग जेलों में 564 ऐसे कैदी हैं जिन्हें सजा-ए-मौत मिली है, ये आंकड़ा पिछले दो दशकों में सबसे ज्यादा हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 के बाद से देश की जेलों में मौत की सजा पाने वाले कैदियों की संख्या में इजाफा हुआ है. इस कड़ी में 2019 में ऐसे कैदियों की संख्या 378 थी, जबकि 2020 में ये आंकड़ा बढ़कर 404, साल 2021 में 490, साल 2022 में 539, साल 2023 में 554 और साल 2024 में 564 पहुंच गया है. साल 2024 में सबसे ज्यादा 34 लोगों को यूपी में मौत की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद केरल (20) और पश्चिम बंगाल (18) का नंबर आता है. दिल्ली, जम्मू कश्मीर, त्रिपुरा और असम में बीते साल किसी को भी मौत की सजा नहीं सुनाई गई थी.
आखिरी में 4 लोगों को 2022 में फांसी
डीडब्ल्यू में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया कि वैश्विक स्तर पर 115 से ज्यादा देशों ने सजा-ए-मौत को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. इसके अलावा 9 देश ऐसे हैं जहां युद्ध अपराधों को छोड़कर बाकी किसी मामले में मौत की सजा नहीं दी जाती है. हालांकि 55 देशों में अब भी सजा-ए-मौत का प्रावधान है और भारत इस लिस्ट में शामिल है. देश में आखिरी बार साल 2020 निर्भया कांड के चार दोषियों को फांसी पर लटकारा सजा-ए-मौत दी गई थी.
देश के उच्च न्यायालयों की बात करें तो हरियाणा, पंजाब, झारखंड और तेलंगान ने बीते साल 9 लोगों को मौत की सजा की पुष्टि की है. रिपोर्ट में निचली अदालतों में मौत की सजा के ज्यादा केस और हाई कोर्ट में उनके खिलाफ अपील के निपटान की धीमी दर को मौत की सजा पाए कैदियों के आंकड़ों में बढ़ोतरी की वजह बताया गया है.
चीन-अमेरिका में ऐसे मिलती है सजा
भारत के पड़ोसी देश चीन मौत की सजा के आंकड़े छुपाने के लिए जाना जाता है. यहां साल 2022 में अनुमान के मुताबिक हजार से ज्यादा लोगों की मौत की सजा दी गई है. चीन में मौत की सजा पाने वाले को गोली मार दी जाती है या फिर कई मामलों में जहर का इंजेक्शन देकर भी मौत दी जाती है. इसी तरह सऊदी अरब दुनिया का ऐसा अकेला देश है यहां सिर कलम कर मौत की सजा दी जाती है. 12 मार्च 2022 को यहां एक साथ 81 लोगों को सजा-ए-मौत दी गई थी जो कि देश के इतिहास में सबसे ज्यादा है.
नॉर्थ कोरिया मौत की सजा देने के मामले में कुख्यात है. ये दुनिया के उन चार देशों में शामिल है जहां सार्वजनिक तौर पर मौत की सजा दी जाती है. जासूसी से लेकर हत्या, रेप और राजनीतिक विरोध तक पर यहां मौत के घाट उतार दिया जाता है. यही नही, मौत की सजा पाए लोगों को शव तक उनके परिजनों को नहीं सौंपा जाता है. ऐसी ही अमेरिका के 27 राज्य ऐसे हैं जहां सजा-ए-मौत देने का प्रावधान है. साल 2022 तक करीब 250 ऐसे दोषी हैं जो कैद में रहकर मौत की सजा का इंतजार कर रहे हैं. अमेरिका में फांसी के अलावा बिजली का करंट, गोली मारकर, जहरीली गैस और जहर का इंजेक्शन देकर भी सजा-ए-मौत दी जाती है.