भोपाल। मध्य प्रदेश में विभिन्न तरह के अपराधों में दोष सिद्धि की दर यानी दोषियों को सजा दिलाने में पुलिस अपेक्षाकृत पीछे है। यह दर 23 से 70 प्रतिशत के बीच है। ऐसी ही स्थिति अब प्रदेश के लोगों से विभिन्न तरह की ठगी के मामलों में भी बन रही है। पिछले तीन वर्ष में साइबर ठगी, फारेक्स ट्रेडिंग में निवेश करने के नाम पर ठगी, कोरियर कंपनी खुलवाने के नाम पर धोखाधड़ी सहित विभिन्न तरह के फर्जीवाड़े में लगभग डेढ़ हजार करोड़ रुपये ठग लिए गए। पुलिस इसमें पीड़ितों को 10 प्रतिशत राशि भी वापस नहीं दिलवा पाई।
इसका बड़ा कारण यह है कि ठग अपराध के ऐसे नए और फुलप्रूफ तरीके निकाल रहे हैं कि पुलिस उन तक पहुंच ही नहीं पा रही है। ठगों के मास्टरमाइंड दूसरे देशों में बैठे हैं, जिन्हें पकड़कर लाना संभव नहीं हो पा रहा है। दूसरी बड़ी वजह यह है कि साइबर अपराधों से संबंधित हेल्पलाइन नंबर 1930 और https://cybercrime.gov.in में आने वाली शिकायतों पर एफआइआर और जांच में देरी होती है। कई बार पीड़ित भी एफआईआर करने से बचते हैं।
प्रदेश के लोगों से पिछले पांच वर्ष में 1054 करोड़ रुपये की ठगी हुई, जिसमें लगभग एक हजार करोड़ की ठगी पिछले तीन वर्ष में ही हुई। इसमें 105.21 करोड़ रुपये बैंकों में होल्ड कराने में पुलिस को सफलता मिली। इसके बाद पीड़ितों को एक करोड़ 94 लाख रुपये लौटाए गए हैं।
फारेक्स ट्रेडिंग : प्रदेश के लोगों से 200 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी, वसूली शून्य
विदेशी मुद्रा में राशि निवेश कराकर प्रतिमाह आठ प्रतिशत तक लाभ दिलाने का लालच देकर पिछले दो वर्ष में प्रदेश के लोगों से 200 करोड़ रुपये की ठगी की गई। देशभर का आंकड़ा 2300 करोड़ रुपये का है। प्रदेश के लोगों को एक भी रुपया वापस नहीं मिला है।