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10 सीटों पर प्रभारी…कांग्रेस की फील्डिंग ने कैसे बढ़ाई अखिलेश की टेंशन?

उत्तर प्रदेश की 10 में से कांग्रेस कम से कम 3 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. कांग्रेस इसके लिए सपा से बातचीत भी कर रही है, लेकिन इसी बीच कांग्रेस की एक सूची ने सियासी चर्चाएं छेड़ दी है. पार्टी ने सभी 10 सीटों पर मजबूत नेताओं की मोर्चेबंदी कर दी है. कहा जा रहा है कि अगर सपा से बात नहीं बनती है तो कांग्रेस खेल खराब करने से नहीं चूकेगी.

उत्तर प्रदेश के गांव देहात में एक कहावत बहुत ही मशहूर है- ना खेलब, ना खेले देब, खेलिए बिगाड़म. मतलब न खेलेंगे और न खेलने देंगे, खेल ही बिगाड़ देंगे. यूपी में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव से पहले कांग्रेस इसी तरह की रणनीति पर आगे बढ़ रही है.

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समाजवादी पार्टी से गठबंधन की चर्चा के बीच कांग्रेस ने सभी 10 सीटों पर प्रभारी और पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया है. कहा जा रहा है कि सपा से अगर गठबंधन की बात नहीं बनती है तो कांग्रेस अकेले मैदान में उतरेगी.

यूपी कांग्रेस ने जिन सीटों पर मजबूत प्रभारी नियुक्त किया है, उनमें मिल्कीपुर, सीसामऊ, कटेहरी और कुंदरकी जैसी सीटें शामिल हैं. 2022 के चुनाव में इन सीटों पर समाजवादी पार्टी को जीत मिली थी.

उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों पर अक्टूबर-नवंबर में चुनाव प्रस्तावित हैं, जहां पर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला होना है.

कांग्रेस ने किस सीट पर किसे बनाया प्रभारी?

1. अयोध्या की मिल्कीपुर (सुरक्षित) सीट पर पूर्व राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया को प्रभारी बनाया गया है. देवरिया से लोकसभा के उम्मीदवार रहे अखिलेश प्रसाद सिंह को पर्यवेक्षक बनाया गया है.

2. मिर्जापुर की मझवां सीट पर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय खुद प्रभारी होंगे. बासगांव से उम्मीदवार रहे सदल प्रसाद यहां पर पर्यवेक्षक की भूमिका निभाएंगे.

3. अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट पर सत्य नारायण पटेल को प्रभारी नियुक्त किया गया है. कटेहरी कुर्मी बाहुल्य सीट है. केशव चंद्र यादव यहां के पर्यवेक्षक होंगे.

4. कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर मोरादाबाद के अधीन कुंदरकी सीट के प्रभारी नियुक्त किए गए हैं. सीतापुर के सांसद राकेश राठौड़ यहां के पर्यवेक्षक होंगे.

5. कानपुर की सीसामऊ सीट के प्रभार का जिम्मा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव निलांशु चतुर्वेदी को दिया गया है. अमेठी से सांसद किशोरी लाल शर्मा यहां के पर्यवेक्षक होंगे.

6. अखिलेश यादव की सीट करहल पर तौकीर आलम को प्रभारी नियुक्त किया गया है. रामनाथ सिकरवार यहां के पर्यवेक्षक होंगे.

7. प्रयागराज की फूलपुर सीट का जिम्मा राजेश तिवारी को मिला है. तिवारी यहां के प्रभारी होंगे. प्रयागराज के सांसद उज्जवल रमण सिंह को यहां से पर्यवेक्षक बनाया गया है.

8. मुजफ्फरपुर की मीरापुर सीट पर विधायक वीरेंद्र चौधरी को प्रभारी नियुक्त किया गया है. सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद यहां पर्यवेक्षक की भूमिका में रहेंगे.

9. गाजियाबाद सदर सीट पर विधानसभा में नेता अराधना मिश्रा मोना को प्रभारी नियुक्त किया गया है. बाराबंकी से सांसद तनुज पूनिया यहां के पर्यवेक्षक होंगे.

10. अलीगढ़ की खैर सीट से नसीमुद्दीन सिद्दकी प्रभारी बनाए गए हैं. राज कुमार रावत को यहां पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है.

कम से कम 3 सीटों पर कांग्रेस की दावेदारी

उत्तर प्रदेश की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से कम से कम 3 सीटों पर कांग्रेस लड़ना चाह रही है. कांग्रेस की दावेदारी मिर्जापुर की मझवां, प्रयागराज की फूलपुर और गाजियाबाद की सदर सीट पर है. इनमें से अगर कोई सीट कांग्रेस को नहीं मिलती है तो पार्टी अलीगढ़ की खैर और मुजफ्फरनगर की मीरापुर से भी चुनाव लड़ सकती है.

कहा जा रहा है कि मझवां सीट से खुद अजय राय चुनाव लड़ सकते हैं. यहां का जातीय समीकरण भी उनके लिए मुफीद बताया जा रहा है. वर्तमान में विधानसभा में कांग्रेस के सिर्फ 2 विधायक हैं. उपचुनाव के जरिए कांग्रेस इस संख्या को बढ़ाना चाहती है.

गठबंधन नहीं, तो खेल बिगाड़ने की रणनीति

कांग्रेस ने जिस तरह से उपचुनाव को लेकर सभी 10 सीटों पर प्रभारी और पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं, उससे कई सियासी संदेश निकाले जा रहे हैं. मसलन, पार्टी ने जातिगत समीकरण को देखते हुए सभी सीटों पर मजबूत नेताओं को तैनात किया है.

उदाहरण के लिए मिल्कीपुर सीट पर दलितों की आबादी ज्यादा है, तो वहां पर दिग्गज नेता पीएल पुनिया को तैनात किया है. इसी तरह फूलपुर में राजेश तिवारी और कटेहरी में सत्य नारायण पटेल को प्रभारी बनाया गया है.

कांग्रेस के 3 राष्ट्रीय सचिव उपचुनाव की ड्यूटी में लगाए गए हैं. इसी तरह पार्टी ने राहुल गांधी को छोड़कर बाकी के सांसदों को भी फील्ड में उतार दिया है.

कहा जा रहा है कि अगर समाजवादी पार्टी से सीट शेयरिंग को लेकर समझौता नहीं होता है तो कांग्रेस सभी सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारेगी. कांग्रेस उपचुनाव के जरिए यह दिखाने का प्रयास करेगी कि उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है.

कांग्रेस ने 29 सितंबर से 10 अक्तूबर तक सभी 10 सीटों पर संविधान सम्मेलन भी करने का फैसला किया है. सम्मेलन में पार्टी के बड़े नेता मौजूद रहेंगे.

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