भारतीय सेना की ताकत में इजाफा: तीसरी ‘धनुष’ रेजीमेंट की शुरुआत, जानें इसकी खासियतें

भारतीय सेना ने अपनी तोपखाना क्षमता को और मजबूती देने के लिए स्वदेशी तोप प्रणाली ‘धनुष’ की तीसरी रेजीमेंट की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देने के साथ-साथ सेना की मारक क्षमता को और घातक बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।सूत्रों के मुताबिक, सेना की दूसरी ‘धनुष’ रेजीमेंट का गठन पूरा हो चुका है और तीसरी रेजीमेंट के लिए कुछ गन सिस्टम सेना को मिल भी चुके हैं। हर रेजीमेंट में 18 तोपें शामिल होती हैं। 2019 में रक्षा मंत्रालय ने 114 धनुष तोपों के बड़े पैमाने पर उत्पादन को मंजूरी दी थी, जिनकी आपूर्ति मार्च 2026 तक पूरी करने का लक्ष्य है।

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‘धनुष’ एक अत्याधुनिक 155 मिमी / 45 कैलिबर की टोइड आर्टिलरी गन है, जिसे जबलपुर स्थित एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (AWEIL) तैयार कर रहा है। यह बोफोर्स गन का एडवांस और स्वदेशी संस्करण है, जिसकी मारक क्षमता 36 से 38 किलोमीटर तक है। यह हर मौसम और भूभाग में दुश्मन के ठिकानों को निशाना बना सकती है।

इसकी खासियतों में शामिल हैं:

  • GPS-आधारित फायरिंग कंट्रोल सिस्टम

  • ऑनबोर्ड बैलिस्टिक कंप्यूटर

  • थर्मल इमेजिंग, लेजर रेंज फाइंडर और कैमरा

  • मजल वेलोसिटी रिकॉर्डर

करीब 14 करोड़ रुपये की लागत वाली हर धनुष तोप NATO के 155 मिमी गोला-बारूद के साथ भी इस्तेमाल की जा सकती है। इसकी 80% से ज्यादा हिस्सेदारी स्वदेशी तकनीक और उपकरणों की है, जो इसे भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनाती है।धनुष तोप को दुर्गम और ऊंचाई वाले इलाकों में आसानी से ले जाया जा सकता है। यह दिन और रात दोनों समय में सटीक निशाना साध सकती है। सेना का लक्ष्य है कि 2040 तक उसके तोपखाने की सभी तोपें 155 मिमी कैलिबर की हों ताकि मारक क्षमता और घातकता दोनों में इजाफा हो सके।

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