यमुना एक्सप्रेसवे पर सुविधाओं में बढ़ोतरी से सड़क हादसों की संख्या में काफी कमी आई है, जिससे मृत्यु दर में गिरावट दर्ज की गई है. पिछले साल 2024 में 81 यात्रियों की जान गई, जबकि 835 लोग घायल हुए थे. यह आंकड़ा पिछले सात वर्षों में सबसे कम है. एक्सप्रेसवे पर दुर्घटनाओं का कारण अक्सर गर्मियों में टायर फटने और सर्दी में कोहरे बनता है. लेकिन एक्सप्रेसवे प्रबंधन द्वारा किए गए सुधारों और सुविधाओं में वृद्धि के कारण हादसों की संख्या में कमी आई है.
यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण 2012 में जेपी इंफ्राटेक द्वारा किया गया था. इसकी लंबाई 165 किलोमीटर है. एक्सप्रेसवे पर यातायात का दबाव काफी अधिक रहता है, जिससे यहां हादसों की संभावना हमेशा बनी रहती है. 2019 में 195 यात्रियों की मौत हुई थी, लेकिन अब प्रबंधन और प्राधिकरण ने हादसों को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं, जिनसे मृत्यु दर में कमी आई है.
नई सुविधाएं और कदम
- रात के समय सुरक्षा: रात के समय भारी वाहनों के चालकों को नींद से बचाने के लिए मुफ्त चाय उपलब्ध कराई जा रही है.
- गति सीमा में बदलाव: सर्दी में हल्के वाहनों की गति सीमा 100 से घटाकर 75 किलोमीटर और भारी वाहनों की 80 से घटाकर 60 किलोमीटर की गई है.
- सड़क सुरक्षा उपाय: रंबल स्ट्रिप और कैश बीम बैरियर लगाए गए हैं ताकि वाहनों के गिरने से बचाव हो सके.
- नाइट्रोजन प्वाइंट: गर्मियों में टायर को अधिक गर्म होने से बचाने के लिए नाइट्रोजन प्वाइंट की शुरुआत की गई है.
- सुरक्षा वाहन और पेट्रोलिंग: हर टोल पर दो फायर सेफ्टी वाहन तैनात हैं, साथ ही 20 से अधिक वाहनों से एक्सप्रेसवे पर लगातार पेट्रोलिंग की जा रही है.
- इमरजेंसी सेवा: हादसों में घायल व्यक्तियों को अस्पताल पहुंचाने के लिए छह एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है और खराब वाहनों को हटाने के लिए क्रेन तैनात की गई है.
भविष्य में यातायात बढ़ने की संभावना
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के संचालन की शुरुआत अप्रैल में होने वाली है, जिसके बाद यमुना एक्सप्रेसवे पर यातायात का दबाव और अधिक बढ़ सकता है. इस पर भी एक्सप्रेसवे प्राधिकरण ने वाहनों का दबाव कम करने के लिए योजना बनाई है. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को यमुना एक्सप्रेसवे से जोड़ने के लिए लूप बनकर तैयार है, जिससे यातायात की स्थिति में सुधार हो सकता है.