छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बंदूक रखने का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है। पहले जहां हर महीने केवल पांच से छह लोग गन लाइसेंस के लिए आवेदन करते थे, वहीं अब यह संख्या 12 से 15 तक पहुंच गई है। कलेक्ट्रेट की लाइसेंस शाखा के अनुसार, जनवरी 2024 से अब तक 25 नए गन लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं।
वर्तमान में रायपुर जिले में 1893 लोग गन लाइसेंसधारी हैं। पूरे राज्य में 13,242 लोग लाइसेंसधारी हैं, जिनमें रायपुर का हिस्सा सबसे बड़ा है। आवेदकों में व्यापारी, जमीन कारोबारी, डॉक्टर, वकील, बिल्डर और खिलाड़ी तक शामिल हैं। इनमें से कई लोग आत्मरक्षा को कारण बताते हैं, जबकि कुछ लोग दबंग छवि और रुतबा दिखाने के लिए हथियार लेना पसंद करते हैं।
कलेक्ट्रेट के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले आठ महीनों में 88 आवेदन आए हैं, लेकिन केवल चुनिंदा लोगों को ही मंजूरी दी गई। लाइसेंस मंजूर होने से पहले एसडीएम और एसपी की रिपोर्ट ली जाती है और आवेदक के आपराधिक रिकॉर्ड की जांच की जाती है। पूरी प्रक्रिया में दो से तीन महीने का समय लगता है।
रायपुर पुलिस लाइन में हथियार चलाने की ट्रेनिंग अनिवार्य है। इसके लिए चार हजार रुपये फीस और पांच से सात दिन का प्रशिक्षण आवश्यक है। पिछले आठ महीनों में 72 से ज्यादा लोग यह ट्रेनिंग ले चुके हैं।
रिवाल्वर की कीमत जहां 1.50 से 5 लाख तक है, वहीं राइफल 1.60 से 1.70 लाख और 12 बोर बंदूक 25 से 30 हजार रुपये में मिल जाती है। ऐसे में हथियार लेना आसान नहीं है, लेकिन फिर भी रायपुर में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।
अधिकारियों का कहना है कि आत्मरक्षा और निजी सुरक्षा सबसे बड़ा कारण है, लेकिन दस्तावेज और कारण सही होने पर ही लाइसेंस मंजूर होता है। यही वजह है कि हर साल बड़ी संख्या में आवेदन आने के बावजूद मंजूरियां सीमित ही दी जाती हैं।