इंदौर में डॉग बाइट के बढ़ते मामले: 7 महीने में 28,142 लोग शिकार, हर महीने 10 हजार केस; 9 साल में दोगुनी हुई संख्या

इंदौर डॉग बाइट के मामले में प्रदेश में तीसरे पायदान पर है। यहां हर रोज औसतन 134 लोगों को कुत्ते अपना निशाना बना रहे हैं। एक दिन पहले ही बीएसएफ के छह जवानों को एक पागल कुत्ते ने अपना शिकार बनाया। दो जवानों को तो कुत्तों ने बुरी तरह से घायल कर दिया।

शहर में हर महीने लगभग 10 हजार लोगों को स्ट्रीट डॉग शिकार बना रहे हैं। सिर्फ इंदौर के प्रमुख हुकुम चंद पॉलीक्लिनिक के आंकड़ों की बात करें तो औसतन 4 हजार 20 लोगों को आवारा कुत्तों ने शिकार बनाया है। यानी रोजाना 134 लोगों पर स्ट्रीट डॉग ने हमला किया है।

2 साल पहले 2023 में यह आंकड़ा कम था। 2023 तक हर महीने स्ट्रीट डॉग इंदौर में एवरेज 3 हजार 600 और रोजाना 120 लोगों को अपना शिकार बना रहे थे। अब यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।

हुकुम चंद पॉलीक्लिनिक (लाल अस्पताल) से मिले आंकड़ों के अनुसार इंदौर में जनवरी से लेकर जुलाई 2025 तक 28 हजार 142 लोगों को स्ट्रीट डॉग अपना शिकार बना चुके है। इसमें 28 अन्य वेक्सिन सेंटर और 350 नर्सिंग व प्राइवेट हॉस्पिटल का डेटा शामिल नहीं है।

9 साल में स्ट्रीट डॉग की संख्या दोगुनी

इंदौर की अधिकांश कॉलोनियों और चौराहों पर देर रात निकलना अब और खतरनाक हो चुका है। पिछले 9 साल में स्ट्रीट डॉग के काटने की संख्या दोगुनी हो गई है। वहीं हर साल स्ट्रीट डॉग के शिकार लोगों की संख्या में 20% तक की बढ़ोतरी हो रही है। इनके काटने के बाद लोग एंटी रैबीज वैक्सीन लगाने के लिए एमटीएच स्थित हुकुम चंद पॉलीक्लिनिक पहुंचते हैं।

आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2025 से 31 जुलाई 2025 तक इंदौर में 28 हजार 142 लोग आवारा कुत्तों के हमले से घायल हुए हैं। जबकि 9 साल पहले 2016 में यह आंकड़ा 20 हजार 455 था।

यानी 2016 में सालभर में जितने स्ट्रीट डॉग ने लोगों को शिकार बनाया था उससे 8 हजार ज्यादा लोगों को 2025 में स्ट्रीट डॉग सिर्फ 7 महीने में ही अपना शिकार बना चुके हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो 9 साल में इंदौर में डॉग बाइट के केस डबल हो गए हैं।

इंदौर तीसरे, रतलाम पहले पायदान पर

इंदौर डॉग बाइट के मामले में प्रदेश में तीसरे स्थान पर है। नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) द्वारा राष्ट्रीय रैबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत भारत सरकार के निर्देश पर मध्य प्रदेश के 6 बड़े शहरों इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और रतलाम में डाग बाइट्स के मामलों का सर्वे किया गया। यह सर्वे साल 2024 और जनवरी से जून 2025 के मध्य में किया गया है।

इस सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार छह शहरों में राजधानी भोपाल में डाग बाइट्स के सबसे कम मामले दर्ज हुए, जबकि रतलाम इस मामले में पहले स्थान पर रहा। वहीं उज्जैन दूसरे, इंदौर तीसरे, जबलपुर चौथे और ग्वालियर पांचवें स्थान पर रहा। खास बात यह है कि एनएचएम की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2025 से जून 2025 तक इंदौर में 30 हजार 304 लोगों स्ट्रीट डॉग अपना शिकार बना चुके है।

रोजाना पहुंचते हैं 130 से 150 लोग इलाज कराने

हुकुम चंद पॉली क्लिनिक से मिली जानकारी के अनुसार रोजाना 130 से 135 लोग डॉग बाइट का इलाज कराने पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों की माने तो शहर के विभिन्न निजी अस्पतालों में भी रोजाना 140 से 150 लोग कुत्तों के काटने का इलाज कराने पहुंचते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो इंदौर में रोजाना लगभग 280 से 300 लोग आवारा कुत्तों के हमले का शिकार हो रहे हैं।

बता दें, हुकुम चंद पॉलीक्लिनिक (लाल अस्पताल) में कुत्ते के काटने का वैक्सीन 10 रुपए की पर्ची पर नि:शुल्क में लगाया जाता है। हुकुम चंद पॉलीक्लिनिक के डॉक्टर का कहना है कि इंदौर में लगभग 10 हजार लोग हर महीने स्ट्रीट ड्रॉग का शिकार हो रहे हैं। हर माह क्लिनिक आने वालों की संख्या ही 4 हजार से ज्यादा है। वहीं हमारे जैसे 28 और वैक्सीन सेंटर है वहीं 350 नर्सिंग व प्राइवेट हॉस्पिटल में भी रोजाना वैक्सीन लगाया जाता है।

हर माह 2 से 3 लोगाें को हो रहा रैबीज

हुकुम चंद पॉलीक्लिनिक के डॉ. आशुतोष शर्मा ने बताया कि हर माह हमारे पास रैबीज के दो से तीन केस आ रहे हैं। डॉग बाइट ही नहीं अगर स्क्रैच भी होता है तो सीधे वैक्सीन लगवाना चाहिए। इस माह हमारे पास 2 हजार 367 नए केस डॉग बाइट के रजिस्टर्ड हो चुके है।

डॉग की पापुलेशन कम नहीं होती तब तब केस में कमी देखने को नहीं मिलेगी। इसमें भी 10 से 12 साल का समय लगेगा। जब तक हमें अपना और जानवरों का व्यवहार कंट्रोल करके समाज को रहना चाहिए। वहीं डॉग बाइट के केस कम करने का सबसे बेहतर उपाय अभी यहीं है कि हम शेल्टर और फूड जोन बनाए।

मोहल्ले में सबसे ज्यादा शिकार होते हैं लोग

इंदौर में एक शेल्टर में काम करने वाले विशाल कारवाल ने बताया कि आजकल पशु प्रेमी अपने मोहल्ले के आवारा कुत्तों को खाना खिला देते हैं और उनका ख्याल रख लेते हैं। लेकिन इनकी संख्या इतनी बढ़ गई है कि यह रात के साथ ही दिन में भी अकेले लोगों पर हमला करने से नहीं झिझकते। अब यह कुत्ते बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं पर हमला करने के साथ ही दोपहिया वाहन चालक को सबसे ज्यादा अपना शिकार बना रहे हैं। वहीं कॉलोनी के लोग नगर निगम से इनकी स्ट्रीट डॉग की शिकायत करते हुए तो कुछ पशु प्रेमी उल्टा निगम के खिलाफ ही खड़े हो जाते है। जिससे निगम की टीम इन्हें बिना साथ लिए ही रवाना हो जाती है।

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