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मैक्सिको-चीन को पछाड़ भारत बना नंबर 1, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट से हिले दुनिया के 195 देश

भारत के लोग दुनिया के किसी भी कोने में रहें, अपने देश और परिवार को कभी नहीं भूलते हैं. इसी इंडियन डायसपोरा की वजह से भारत की इकोनॉमी को काफी फायदा भी होता है. खास बात तो ये है कि विदेशी धरती पर रहने वाले भारतीय अपने देश में इतना पैसा भेजते हैं जिससे किसी छोटे का सालाना खर्च भी निकल सकता है. जहां तक चीन की बात है तो भारत के मुकाबले इस तरह पैसा ड्रैगन के पास आधे से भी कम आता है. वहीं बात पाकिस्तान की करें तो विदेशी धरती पर रहने वाले पाकिस्तानी भारतीयों के मुकाबले एक चौथाई पैसा भी नहीं भजते हैं. आइए वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट को समझने की कोशिश करते हैं, जिसे देखकर चीन और पाकिस्तान समेत दुनिया के 195 देश हिल गए हैं.

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विश्व बैंक की बुधवार को जारी रिपोर्ट में यह कहा गया है कि विदेशों में रह रहे भारतीयों ने बीते वर्ष यानी 2023 में 120 अरब डॉलर यानी 10 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा भारत में भेजे हैं. जोकि भारत के बजट के करीब एक चौथाई हिस्से के बराबर है. इसका मतलब है कि भारतीयों ने पिछले हर मिनट में करीब दो करोड़ रुपए भारत में सेंड किए हैं. वहीं दूसरी ओर मेक्सिको को इसी अवधि में 66 अरब डॉलर मिले हैं. जोकि भारत के मुकाबले करीब आधा है.

वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान और चीन में आने वाला इस तरह का पैसा भारत के मुकाबले काफी कम है. विदेशों से चीन में भेजी गई (रेमिटेंस) का राशि 50 बिलियन डॉलर है. जोकि भारत के मुकाबले आधे से भी कम है. वहीं दूसरी ओर फिलिपीन के पास 39 अरब डॉलर रेमिटेंस के रूप में आए जोकि भारत के मुकाबले एक तिहाई है. खास बात तो ये है कि पाकिस्तान रेमिटेंस पाने वाले टॉप 5 देशों में भले ही शामिल हो, लेकिन भारत के मुकाबले उनकी 27 अरब डॉलर रेमिटेंस की रकम एक चौथाई भी नहीं है.

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, 2021-2022 के दौरान मजबूत वृद्धि के बाद 2023 में आधिकारिक तौर पर बाहर से भेजे गए पैसे या रेमिटेंस निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) में कम रहा और यह 656 अरब डॉलर तक पहुंच गया. भारत के मामले में रेमिटेंस में 2023 में 7.5 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है. यह 120 अरब डॉलर रहा. यह अमेरिका में महंगाई में गिरावट और मजबूत श्रम बाजारों के लाभ को बताता है. अमेरिका, भारत के कुशल प्रवासियों के लिए सबसे बड़ा गंतव्य है. इसके अलावा कुशल और अर्द्ध कुशल श्रमिकों की खाड़ी देशों (GCC) में मांग से भी धन प्रेषण पर सकारात्मक असर पड़ा.

पाकिस्तान के मामले में भी विदेशों में मांग अच्छी थी और इससे धन प्रेषण अच्छा हो सकता था लेकिन भुगतान संतुलन संकट तथा आर्थिक कठिनाइयों के कारण कमजोर आंतरिक स्थिति से यह 2023 में 12 प्रतिशत लुढ़क कर 27 अरब डॉलर रहा. वहीं 2022 में उसे 30 अरब डॉलर प्राप्त हुए थे. विश्व बैंक के अनुसार, बाहर से प्रवासियों के भारत को भेजे पैसे के स्रोत के मामले में अमेरिका के बाद संयुक्त अरब अमीरात दूसरे स्थान पर रहा. वहां कुल रेमिटेंस का 18 फीसदी प्राप्त हुआ.

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