विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस समय यूरोप के तीन देशों के दौरे पर हैं. वह इस समय नीदरलैंड्स में हैं. उन्होंने यहां आतंक के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर, आतंक परस्त पाकिस्तान और कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा की.
नीदरलैंड्स के एक अखबार को दिए इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा कि आतंक के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए भारत प्रशंसा का पात्र है. इसके लिए भारत की पीठ थपथपाई जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि सीजफायर अस्थाई समाधान है. पाकिस्तान के साथ संघर्ष का स्थाई और सतत समाधान का रास्ता कैसा होगा? हम आतंकवाद का निर्णायक अंत करना चाहते हैं. सीजफायर की वजह से दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य कार्रवाई नहीं कर रहे लेकिन अगर पाकिस्तान से आतंकी हमले यूं ही जारी रहे तो इसका खामियाजा उन्हें भुगतना होगा. पाकिस्तानियों को इसे अच्छी तरह से समझ लेने की जरूरत है.
यह पूछने पर कि आपने पहले भी पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र बताया था और कहा था कि पाकिस्तान में एक्टिव आतंकी समूहों को पाकिस्तान की सरकार से समर्थन मिल रहा है. इस पर जयशंकर ने कहा कि मैंने ये कहा है और कह रहा हूं. मान लीजिए, एम्सटर्डम जैसे शहर के बीचोबीच बड़े सैन्य केंद्र हो, जहां हजारों लोग मिलिट्री ट्रेनिंग के लिए इकट्ठा हुए हो. क्या आप कहेंगे कि आपकी सरकार इसके बारे में कुछ नहीं जानती? बिल्कुल नहीं. हमें ये नैरेटिव अख्तियार नहीं करना है कि पाकिस्तान कुछ नहीं जानता. संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित सबसे कुख्यात आतंकियों की लिस्ट में पाकिस्तान के आतंकी हैं. ये आतंकी बड़े-बड़े शहरों से दिनदहाड़े आराम से ऑपरेट करते हैं. उनकी गतिविधियां सभी को पता है. तो ये नहीं समझें कि पाकिस्तान को कुछ नहीं पता या पाकिस्तान इसमें शामिल नहीं है. पाकिस्तान की सरकार इसमें शामिल है. पाकिस्तान की सेना इसमें पैर से लेकर सिर तक डूबी हुई है.
जयशंकर पहले भी कहा चुके हैं कि ऑपरेशन सिंदूर में एक क्लियर मैसेज था कि अगर 22 अप्रैल जैसा हमला होगा तो इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. हम आतंकियों को नहीं छोड़ेंगे. अगर आतंकी पाकिस्तान में हैं तो वे जहां भी होंगे, हम उन्हें नहीं बख्शेंगे. इस ऑपरेशन में एक संदेश था. फिलहाल सहमति से सीजफायर है.
उन्होंने कहा कि आप कह सकते हैं कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद आंशिक तौर पर पूरे कश्मीर विवाद का नतीजा है. हमारे लिए आतंकवाद पूरी तरह से अस्वीकार्य अंतरराष्ट्रीय अपराध है जिसे किसी भी तरह न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता. आतंकी जम्मू-कश्मीर के वाइब्रेंट टूरिज्म इंडस्ट्री को टारगेट कर रहे हैं. वे जानबूझकर हमले को धार्मिक रंग भी दे रहे हैं. वैश्विक स्तर पर इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए और जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है. यह ऐतिहासिक तथ्य है कि 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद कश्मीर ने भारत के साथ रहना चुना. हमारा रुख है कि अवैध रूप से कब्जा किए गए क्षेत्रों को उसके योग्य हुक्मरान को दिया जाना चाहिए, जो कि हम हैं.
यह पूछने पर कि क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय कश्मीर विवाद में मध्यस्थता कर सकता है? इस पर जयशंकर ने कहा कि नहीं, यह दोनों देशों के बीच का द्विपक्षीय मामला है. तो क्या कश्मीर मामले पर भारत ट्रंप के ऑफर को स्वीकार नहीं करेगा? इस पर जयशंकर ने कहा कि जैसा कि मैंने कहा कि यह हम पाकिस्तान के साथ मिलकर ही सुलझाएंगे.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत-डच संबंधों को और गहरा करने के लिए इस हफ्ते नीदरलैंड्स जाना था. लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति की वजह से उन्होंने यह दौरा रद्द कर दिया था. उनकी जगह जयशंकर का नीदरलैंड्स का दौरा तय हुआ. अब पीएम मोदी इस साल के अंत में नीदरलैंड्स जाएंगे.