टैरिफ बढ़ाने वाले ट्रंप को भारत का झटका, बोइंग विमान की खरीद को ठंडे बस्ते में डाला

भारत ने अमेरिका से इंडियन नेवी के लिए 6 अतिरिक्त बोइंग P-8i पोसीडॉन समुद्री गश्ती विमानों की खरीद की योजना को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है. यह फैसला अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 7 अगस्त से प्रभावी भारतीय निर्यातों पर 25% टैरिफ लगाने के ऐलान की वजह से हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला व्यापारिक तनाव और उच्च लागत के मद्देनजर लिया गया है. हालांकि सौदे को पूरी तरह रद्द नहीं किया गया है, लेकिन इसे लेकर पुनर्विचार शुरू हो गया है.

ऑपरेशन सिंदूर के तहत किए गए थे इस्तेमाल

भारतीय नौसेना पहले से ही करीब 12 P-8i विमान ऑपरेट करती है. साल 2009 में भारत इसका पहला अंतरराष्ट्रीय ग्राहक बना था. हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में निगरानी को मजबूत करने में इन विमानों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. ऑपरेशन सिंदूर में भी भारत की समुद्री सीमा की निगरानी में इन विमानों का काफी इस्तेमाल हुआ.

पहले मंजूरी, फिर बढ़ी कीमत

साल 2021 में अमेरिका ने 6 और P-8i विमान भारत को बेचने की मंजूरी दी थी. उस समय इनकी कीमत लगभग 2.42 अरब डॉलर (करीब 20 हजार करोड़ रुपये) थी. लेकिन जुलाई 2025 तक यह लागत बढ़कर 3.6 अरब डॉलर (करीब 30 हजार करोड़ रुपये) हो गई. जिसका कारण सप्लाई चेन में रुकावट और महंगाई बताया गया है.

सूत्रों के मुताबिक भारत ने पहले बढ़ती हुई लागत को लेकर चिंता जताई थी, लेकिन कहीं न कहीं इसकी ऑपरेशनल जरूरतों के मुताबिक भारत इसकी खरीद को तैयार हुआ था. लेकिन टैरिफ की घोषणा के बाद अब रणनीतिक पुनर्मूल्यांकन फिर से शुरू हो गया है. हालांकि यह सौदा पूरी तरह रद्द नहीं हुआ है.

सौदे का इतिहास और लागत में बढ़ोतरी:

  • भारत ने 2009 में 2.2 बिलियन डॉलर की डील में 8 P-81 विमान खरीदे थे, इसके बाद 2016 में 4 और विमानों की खरीद 1 बिलियन डॉलर से अधिक की राशि में हुई थी.
  • नौसेना कुल 18 P-8i विमान इसलिए चाहती थी ताकि वह समुद्र में चीन की बढ़ती हलचलों पर अच्छी तरह नजर रख सके. खासकर उन चीनी जहाजों पर जो पनडुब्बियों के साथ आते हैं या जो खुद को सर्वेक्षण या जांच या समुद्री लुटेरों से सुरक्षा देने वाला जहाज बताकर भेजे जाते हैं, लेकिन असल में उनका मकसद कुछ और होता है.
  • अमेरिका ने मई 2021 में छह और विमानों की बिक्री को 2.42 बिलियन डॉलर में मंजूरी दी थी, लेकिन आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों के चलते जुलाई 2025 तक लागत बढ़कर लगभग 3.6 बिलियन डॉलर हो गई, जो कि 2021 के मुकाबले 50% अधिक है.
  • अमेरिका से मई 2021 में भारत ने 6 और P-81 विमान की डील की थी, उस वक्त इसकी कीमत करीब 2.42 अरब डॉलर थी. लेकिन चीजों की सप्लाई में दिक्कतें आने की वजह से जुलाई तक इसकी कीमत बढ़कर करीब 3.6 अरब डॉलर हो गई यानी पहले से लगभग 50% ज्यादा.

टैरिफ के साथ बढ़ा अमेरिकी दबाव

ट्रंप प्रशासन की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत भारत पर F-35 और P-8i जैसे हथियार भारी कीमत पर खरीदने का दबाव बढ़ा है. भारत ने इसे लेकर नाराजगी जाहिर की है और विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि रक्षा खरीद रणनीतिक जरूरतों के आधार पर होती है, न कि व्यापारिक दबाव में.

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

सूत्रों के मुताबिक भारत इस मौके का इस्तेमाल करते हुए ‘मेक इन इंडिया’ के तहत स्वदेशी विकल्पों को प्राथमिकता दे सकता है. DRDO के मानव रहित प्लेटफॉर्म्स और HAL के प्रस्तावित समुद्री गश्ती विमान विकल्पों पर काम जारी है.

हालांकि सौदा स्थायी रूप से रद्द नहीं हुआ है. सूत्रों के अनुसार, अमेरिका से उचित कीमत पर बातचीत जारी है और हालात सुधरने पर यह डील दोबारा सामने आ सकती है.

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