अंतरराष्ट्रीय स्कूलों का हब बन रहा भारत, शिक्षा में चीन को पछाड़ने की तैयारी !

भारत में शिक्षा हासिल करने के लिए कई तरह की व्यवस्थाएं हैं. मोटे तौर पर, एक तो आप राज्य सरकार के स्कूलों और बोर्ड्स से पढ़ाई कर सकते हैं. इसके अलावा, लाखों की संख्या में छात्र सीबीएसई माध्यम से भी पढ़ाई करते हैं. पर एक और चलन काफी तेजी से विस्तार पा रहा है. दरअसल, भारत में इंटरनेशनल स्कूल काफी तेजी से खुलते जा रहे हैं. ग्लोबल एजुकेशन बोर्ड्स से मान्यता प्राप्त ऐसे इंटरनेशनल स्कूलों की संख्या पिछले 5 बरसों में 10 फीसदी बढ़ी है. ऐसे स्कूलों की कुल संख्या 972 पहुंच गई है. जबकि छात्रों की संख्या में भी इसी दौरान 36 फीसदी तक का उछाला आया है.

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हालांकि, अब भी दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेशनल स्कूल चीन में हैं. चीन में ऐसे स्कूलों की कुल तादाद 1,124 है. अगर भारत में इंटरनेशनल स्कूल इसी रफ्तार से बढ़ते रहें तो बहुत जल्द मुमकिन है कि वह चीन को भी इस बिंदु पर पटखनी दे दे. एक वक्त तक संभ्रांत लोगों तक ही इंटरनेशनल स्कूल की चर्चा होती थी. मगर अब ये छोटे-छोटे शहरों में भी न सिर्फ अपनी लोकप्रियता बल्कि बातचीत के बिंदु होते जा रहे हैं. भारत के मध्यम वर्गीय परिवारों के बीच एक सवाल लंबे अरसे से मौजूद रहा है कि वे बच्चों को भारतीय बोर्ड्स वाले स्कूलों में पढ़ाएं या फिर वे विदेशी बोर्ड्स का भी रुख करें.

2000 में ऐसे स्कूल न के बराबर थे

जाहिर सी बात है कि, कुछ अभिभावकों ने इंटरनेशनल स्कूलों को भी तरजीह देनी शुरू कर दी है. देश की एक छोटी ही सही पर ठीक-ठाक आबादी ग्लोबल एजुकेशन बोर्ड्स का रुख करने लगी है. इसे यूं भी समझा जाना चाहिए कि इस सदी की शुरुआत में ऐसे महज 8 संस्थान थे जो इंटरनेशनल बोर्ड्स के माध्यम से शिक्षा मुहैया करा रहे थे. इन इंटरनेशनल संस्थानों की संख्या इतनी कम थी कि बमुश्किल ही उनका आंकड़ा किसी के पास था. मगर 2011 से 2012 आते-आते केवल दो बोर्ड – कैंब्रिज इंटरनेशनल और इंटरनेशनल बैक्कालौरिएट के स्कूलों की संख्या क्रमशः 197 और 99 पहुंच गई.

सबसे ज्यादा ऐसे स्कूल महाराष्ट्र में

आईएससी रिसर्च – एक ऐसा थिंकटैंक जो इंटरनेशनल स्कूल मार्केट से जु़ड़े आंकड़ों पर नजर रखता है, उसने बतलाया है कि 2019 में जहां ऐसे स्कूलों की संख्या 884 थी, वह जनवरी 2025 में बढ़कर 972 पहुंच गई है. पिछले पांच बरसों में इन स्कूलों की संख्या में दस फीसदी का उछाल आया है. सबसे अधिक ऐशे स्कूल महाराष्ट्र में है जहां 210 स्कूल आईबी या फिर आईजीसीएसई प्रोग्राम के तहत पढ़ाई उपलब्ध करा रहे हैं. इसके बाद कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना का नंबर है.कर्नाटक में 160, तमिलनाडु में 153, तेलंगाना में 92 और उत्तर प्रदेश में ऐसे स्कूल की संख्या 68 दर्ज हुई है.

चीन में 152 स्कूल भारत से ज्यादा

जैसा हमने ऊपर ही बतलाया कि, इंटरनेशनल स्कूल अब धीरे-धीरे अपना विस्तार छोटे-छोटे शहरों में भी करने लगे हैं. इसकी सबसे दिलचस्प मिसाल ये है कि महाराष्ट्र के सांगली के हटकांगले से लेकर मध्य प्रदेश के बेतुल जिले के सोनाघाटी में भी इंटरनेशल स्कूल ने अपनी पहुंच कायम कर लिया है. अगर इसी रफ्तार से इंटरनेशनल स्कूलों की संख्या बढ़ती गई तो आने वाले दिनों में बहुत मुमकिन है कि भारत चीन को भी पीछे छो़ड़ दें. वैसे भी भारत और चीन के बीच इंटरनेशनल स्कूलों के बीच का अंतर अब महज 152 रह गया है. आने वाले दिनों में संभव है कि ये अंतर कम होता दिखे.

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