मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने कहा है कि भारत में न्यायपालिका बुलडोजर के शासन से नहीं, बल्कि संविधान और कानून के शासन से चलती है। उन्होंने मॉरीशस में आयोजित ‘रूल ऑफ लॉ मेमोरियल लेक्चर’ में यह बयान दिया।
CJI ने कहा कि बिना कानूनी प्रक्रिया और सुनवाई के किसी का घर गिराना कानून के खिलाफ है। उन्होंने महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव अंबेडकर के उदाहरण देकर बताया कि किसी भी निर्णय का असर समाज के कमजोर वर्ग पर कैसा पड़ेगा, यह हमेशा देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमेशा कानून के शासन को मजबूत करता रहा है।
बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने CJI के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि भारत का लोकतंत्र मजबूत है और न्यायपालिका पिछले 11 वर्षों में सरकार के सहयोग से और अधिक सुदृढ़ हुई है। भाटिया ने राहुल गांधी के उस बयान को खारिज किया, जिसमें कहा गया कि भारत का लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा संविधान और कानून के तहत चलेगा और सरकार की भी संविधान के प्रति प्रतिबद्धता है।
भाटिया ने कहा, “न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश का सम्मान हमारे लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है। संविधान के प्रति आस्था ही भारत की ताकत है।” उन्होंने यह भी कहा कि संविधान और नियम व्यवस्था इस तरह बनाई गई है कि सत्ता का दुरुपयोग न हो और हर व्यक्ति को न्याय मिले।
CJI ने स्पष्ट किया कि भारत में कानून सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि कोई भी निर्णय लेने से पहले यह सोचना आवश्यक है कि उसका असर समाज के सबसे कमजोर और अंतिम व्यक्ति पर क्या पड़ेगा। उन्होंने कहा कि संविधान ने नियम और प्रक्रियाओं का ऐसा ढांचा बनाया है, जिससे हर नागरिक को न्याय मिलने की संभावना बनी रहती है।
CJI के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत में न्यायपालिका और सरकार का उद्देश्य कानून और संविधान के शासन को बनाए रखना है। कोई भी अवैध कार्रवाई या जबरदस्ती स्वीकार्य नहीं है।