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India Manufacturing PMI : देश में मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार धीमी, रोजगार को लेकर बुरी है खबर

India Manufacturing PMI : देश की प्राइवेट मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां सितंबर महीने में नीचे गिरी हैं. आंकड़ों के अनुसार पिछले 4 महीनों में यह सबसे निचले स्तर पर है. एचएसबीसी परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के जारी रिपोर्ट के अनुसार सितंबर में यह आंकड़ा 59.3 से घटकर 57.7 हो गया है. जिससे पता चलता है कि भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ तो हो रही है, पर इसकी रफ्तार धीमी है. अमेरिका के टैरिफ पॉलिसी का इसपर सीधा असर पड़ा है. नए ऑर्डस, आउटपुट और इनपुट खरीदारी की रफ्तार धीमी हो गई और इसका असर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर पड़ा. सबसे बड़ी बात यह है कि सर्वे में नए रोजगार सृजन को लेकर चौंकाने वाली बात कही गई है. सर्वे के अनुसार इस साल इसमें सबसे ज्यादा कम रही. जिसका सीधा मतलब है कि मार्केट में नए रोजगार के अवसर नहीं होंगे.

क्या है परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स इंडेक्स (PMI)?

परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स देश की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों पर मासिक आधार पर रिपोर्ट देती है. अगर इसके आंकड़े 50 से ऊपर हो तो यह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विस्तार और ग्रोथ को दर्शाता है. 50 से नीचे का आंकड़ा सेक्टर में सुस्ती दिखाने का काम करती है. अगर यह आंकड़ा 50 रहता है तो पिछले महीनें की तुलना में इसमें कोई बदलाव नहीं है. सितंबर महीनें में यह 57.7 रही, जिसका मतलब है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विस्तार है. हालांकि पिछले महीनों की तुलना में आंकड़े गिरने के कारण इसकी रफ्तार जरूर धीमी हो गई है.

जीएसटी रिफॉर्म और अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर से सुधार

सरकार की जीएसटी रिफॉर्म लाने के बाद से चीजों की कीमतों में कमी आई है. जिससे मांग बढ़ने की संभावना है. मांग बढ़ने से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ बनी रहने की पूरी उम्मीद है. एचएसबीसी के चीफ इंडिया इकॉनमिस्ट प्रांजुल भंडारी का मानना है कि “सितंबर का हेडलाइन इंडेक्स नरम है, हालांकि काफी लंबे समय से यह औसत ऊपर बना हुआ है. साथ ही सितंबर महीने में नए एक्सपोर्ट ऑर्डर्स की रफ्तार भी तेजी से बढ़ी हैं. जिससे संकेत मिल रहा है कि एशिया, यूरोप और मिडल ईस्ट से आई मांग से अमेरिका पर निर्भरता कम हो सकती है और स्थिति में संतुलित आ सकता है.”

हालांकि कुछ भारतीय कंपनियों ने अगले 12 महीनों में उत्पादन को लेकर उत्साह दिखाया हैं. वो जीएसटी कर सुधार के बाद पूरी तरह से भरोसे में है. साथ ही उत्पादन को लेकर कुछ कंपनियों ने एकस्ट्रा कर्मचारियों की भर्ती भी की है. हालांकि यह आंकड़ा बहुत कम है. सिर्फ 2 प्रतिशत कंपनियों ने ही नए कर्मचारियों की नियुक्ति की है.

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