हर घंटे 30 लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, और वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे. ये किसी गंभीर बीमारी का मामला नहीं है, बल्कि मौत का ये सिलसिला डूबने की वजह से है. यह चौंकाने वाला आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हालिया रिपोर्ट में सामने आया है.
WHO ने पहली बार डूबने से होने वाली मौतों और उनकी रोकथाम पर एक व्यापक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2000 के बाद से दुनियाभर में डूबने से मौतों की दर में 38% की गिरावट दर्ज की गई है. बावजूद इसके, कम आय वाले देशों में यह खतरा अब भी बेहद गंभीर बना हुआ है. आज ही मध्य प्रदेश के छतरपुर में दसवीं क्लास में पढ़ने वाले 18 वर्षीय छात्र की कुएं में डूबने से मौत हो गई. वहीं झारखंड में तालाब में डूबने से मजदूर ने अपनी जान गंवाई है.
अगले 25 साल में 72 लाख पर मंडराया खतरा
रिपोर्ट में डूबने को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट करार दिया गया है. अकेले 2021 में डूबने से तीन लाख लोगों की मौत हुई, जिनमें से लगभग डेढ़ लाख 29 साल से कम उम्र के थे. और जो सबसे ज्यादा दर्दनाक है—मौत का ये आंकड़ा हर चार में से एक बार पांच साल से कम उम्र के बच्चों से जुड़ा होता है.
डब्ल्यूएचओ ने डूबने से मौत की गिरावट को वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है मगर साथ में ये भी कहा है कि अगर मौजूदा रूझान ऐसे ही जारी रहे तो साल 2050 तक यानी अगले 25 सालों में 72 लाख से ज्यादा लोग खासकर से बच्चे डूबने से मर सकते हैं.
क्या होती है ड्राउनिंग?
डूबने पर सांस ने पाने में अक्षम हो जाने की प्रक्रिया को ड्राउनिंग कहा जाता है. यह जानलेवा हो सकती है या प्राण बचा जाने की स्थिति में दिमागी अक्षमता और लंबे समय के लिए अपंगता- जैसे याददाशत चले जाना या काम करने की शक्ति या कौशल खो देना आदि हो सकती है. ड्राउनिंग की घटना पूरे साल स्विमिंग पूल से लेकर नदियों, झीलों और समुद्र तटों पर भी हो सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर डूबने से होने वाली 10 में से नौ मौतें निम्न और मध्य आय वाले देशोंं में होती है. अफ्रीकी क्षेत्र में डूबने से प्रति एक लाख लोगों में 5.6 मौतों का औसत किसी दूसरे क्षेत्र की तुलना में सबसे अधिक दर है.
क्या है भारत की स्थिति?
डूबने से होने वाली मौतें भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं. भारत में हर साल करीब 38,000 से 39,000 लोग डूबने से मरते हैं. इनमें से करीब 31,000 पुरुष और 8,000 महिलाएं शामिल हैं. दुनिया भर में डूबने से होने वाली मौतें तीसरे नंबर पर आती हैं.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो-आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या (2012) के अनुसार, भारत में हर दिन 80 लोग डूबने से मरते हैं, जो सभी अप्राकृतिक मौतों का 7.4% है. 2013 में डूबने से 29,456 और मलेरिया से 440 मौतें हुईं. केरल में, सभी अप्राकृतिक मौतों में से 14.3% मौतें डूबने से होती हैं.
डूबने से कैसे बचें फिर?
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में वॉटर सेफ्टी नियमों को लेकर ज़ोर दिया गया है. सभी देशों से एक राष्ट्रीय जल सुरक्षा योजना बनाने और लागू करने को कहा गया है. लोगों द्वारा पानी प्राप्त करने (एक्सिस टू वॉटर) या पानी से जुड़े रोज़गार को सुरक्षित किया जाने की बात की गई है. वहीं कई जानकार लोगों को तैराकी सीखने पर जोर देते हैं. उनका मानना है कि तैराकी को सिर्फ एक खेल तक सीमित न रखकर अधिक आगे ले जाने की जरूरत है. यह महत्वपूर्ण जीवन रक्षण का कौशल है और हर किसी को इसे सीखना चाहिए.