सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक पर्यावरण संबंधी याचिका पर सुनवाई हुई. इस याचिका में उत्तर प्रदेश और राजस्थान में स्थित ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में पर्यावरण और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की मांग की गई थी. कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों का सुनने के बाद कहा कि टीटीजेड जोन में पेड़ों के संरक्षण के लिए उनकी गिनती जरूरी है.
याचिका में मांग की गई थी कि टीटीजेड में पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है और कोर्ट इसको बचाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे. लेकिन सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि ऐसी कोई घटना नहीं हो रही है. इस पर दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि पेड़ों की कटाई का पता लगाने के लिए एक सुनिश्चित व्यवस्था होनी चाहिए.
10,400 वर्ग किलोमीटर में फैला क्षेत्र
टीटीजेड लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर में फैला क्षेत्र है, जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों और राजस्थान के भरतपुर जिले तक फैला हुआ है.
इसी से जुड़ी सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि पेड़ों की निगरानी का जिम्मा राज्य वन विभाग का है या फिर केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त कोई अथॉरिटी का है. इस पर वहां मौजूद एमिकस क्यूरी ए डी एन राव ने सुझाव दिया कि जहां भी पेड़ों की कटाई होती है, वहां के पुलिस एसएचओ को व्यक्तिगत रूप से इसके लिए जिम्मेदार बनाया जाए.
मौजूद पेड़ों की गिनती करनी होगी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक यह पता नहीं चलेगा कि इस क्षेत्र में कितने पेड़ मौजूद हैं, तब तक यह जानना बहुत मुश्किल होगा कि वहां पेड़ों की कटाई हो रही है या नहीं. यदि इस मुद्दे का सही समाधान चाहिए, तो हमें सबसे पहले यहां मौजूद पेड़ों की गिनती करनी होगी. इस मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी.
टीटीजेड से जुड़े एक अन्य मामले में सुनवाई करते हुए 14 सितंबर को कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर टीटीजेड में अनिवार्य वनरोपण के नियम का पालन नहीं किया गया, तो हम इस जमीन पर बनी हाईवे और घरों को तोड़ने का आदेश देंगे.