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फतवा नहीं हो सकता है…. मौलाना रजवी के नए साल के जश्न वाले बयान पर बोले साजिद रशीदी

नए साल सेलिब्रेशन को लेकर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी के बयान पर अब मौलाना साजिद रशीदी की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि रजवी बरेलवी ने जो कुछ भी कहा है वह उनकी निजी राय है. फतवा नहीं हो सकता है क्योंकि फतवा मुफ्ती ले सकते हैं. नया साल जब आता है तो उसमें दूसरों से कह सकते हैं कि जो पिछला साल गुजरा वह अच्छा गुजरा, जो हमसे गलतियां हुईं वह आगे नए साल में न हों. इसके अलावा कुछ अच्छी बातें भी हो सकती हैं. मुबारकबाद दे सकते हैं.

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रशीदी ने कहा कि जहां तक नए साल के सेलिब्रेशन पर नाच गाने के बारे में और जश्न के बारे में बरेलवी ने जो कहा है तो एक सर्वे के मुताबिक, देश में पूरे साल में जितनी रेप की घटनाएं होती है उससे कहीं ज्यादा 31 दिसंबर की रात में होते हैं. तरह-तरह के क्लबों में और कार्यक्रमों में शामिल होना गलत है. ऐसा नहीं होना चाहिए. आपस में मिलकर एक दूसरे के साथ मिलकर गम बांटे और शुभकामनाएं दें.

मौलाना बोले- शराब पार्टी और नाच गाना इस्लाम में जायज नहीं

मौलाना ने कहा कि 31 दिसंबर की रात में जो पार्टी होती है, उसमें जो नाच गाना और हुड़दंग शराब पार्टी होती है, यह इस्लाम में जायज नहीं है. इस्लाम इसको मना करता है. इस्लाम नाचने गाने को मना करता है. इन सब को इस्लाम में हराम कहा गया है. यह हिंदुस्तान है. यह मुल्क जम्हूरियत से चलता है. अगर कोई नाच गाना कर रहा है तो उसको डंडा लेकर रोक नहीं सकते. उसको मना नहीं कर सकते. इस्लाम कहता है जिसको जो मन आए करें. उसको इस्लाम से खारिज करना गलत है. इस देश में जम्हूरियत है. संविधान से चलता है, शरीयत से नहीं चलता है.

‘इस्लाम में 1 जनवरी नया साल नहीं’

उन्होंने आगे कहा कि इस्लाम धर्म के हिसाब से दिसंबर नया साल नहीं है. हिंदुत्व वादी तंजीम में भी 31 दिसंबर को नया साल नहीं मानती है. वह भी कहते हैं कि हमारा नया साल मुहर्रम और बकरीद के बाद मनाया जाता है. उससे शुरू होता है. धर्म के हिसाब से नया साल मनाना चाहिए. दिसंबर ईसाइयों का साल है, जिसे ईसाई मानते हैं. ऐसे में उन चीजों से दूरी बनाए रखना चाहिए जिसकी वजह से पैसे, जान, इज्जत का नुकसान हो, ऐसी पार्टी नहीं करनी चाहिए.

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