अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान का साथ देने को लेकर भारत अंतरराष्ट्रीय संगठनों में अजरबैजान से ‘बदला’ लेना चाहता है. इससे पहले अजरबैजान की मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि भारत ने एससीओ में अजरबैजान की पूर्ण सदस्यता की राह में रोड़ा अटका दिया है. और अब चीन पहुंचे अजरबैजान के राष्ट्रपति नया दावा लेकर सामने आ गए हैं.
अलीयेव चीन में 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन के तियानजिन शहर पहुंचे हैं और वो 3 सितंबर को चीन के विक्ट्री डे परेड में भी हिस्सा लेंगे. सोमवार को एससीओ की बैठक से इतर उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ मुलाकात की.
अजरबैजान के राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक, अलीयेव ने इसी मुलाकात के दौरान दावा किया कि भारत पाकिस्तान से संबंध रखने को लेकर अंतरराष्ट्रीय संगठनों में अजरबैजान से बदला लेना चाहता है.
इससे पहले अजरबैजान के ब्रॉडकास्टर AnewZ ने एक रिपोर्ट में कहा था, ‘भारत ने तियानजिन में SCO शिखर सम्मेलन के दौरान अजरबैजान के आवेदन का एक बार फिर विरोध किया, जबकि चीन ने बाकू की दावेदारी का समर्थन किया.’
चैनल ने दावा किया कि भारत का निर्णय बहुपक्षीय सिद्धांतों और शंघाई भावना के विपरीत है, और तर्क दिया कि द्विपक्षीय विवादों को अंतरराष्ट्रीय मंचों तक नहीं लाना चाहिए.
AnewZ की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने SCO का पूर्ण सदस्य बनने के अजरबैजान के आवेदन का समर्थन किया है. मामले से परिचित अधिकारियों ने AnewZ को बताया कि ‘भारत ने इस प्रक्रिया में रुकावट डालने की कोशिश की.’ उन्होंने दावा कि अजरबैजान पाकिस्तान के साथ भाईचारा रखता है और इसी कारण भारत का रुख विरोधी रहा है.
‘भारत के विरोध के बावजूद…’
अजरबैजान और भारत के रिश्तों में तनाव तब गहराया जब मई में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर में अजरबैजान ने पाकिस्तान का समर्थन किया.
भारत अजरबैजान के दुश्मन समझे जाने वाले पड़ोसी आर्मेनिया से करीबी रिश्ता रखता है और उसे हथियार आदि सप्लाई करता है, इसलिए भी अजरबैजान भारत से चिढ़ा रहता है. अलीयेव ने शहबाज शरीफ से मुलाकात के दौरान यह भी कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय संगठनों में उसके खिलाफ जा रहा है, बावजूद इसके, अजरबैजान पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में ‘भाईचारे’ को प्राथमिकता देता है.
अलीयेव से मुलाकात के दौरान पाकिस्तानी पीएम ने भारत के साथ लड़ाई के दौरान अजरबैजान के समर्थन के लिए उनका धन्यवाद दिया.
अजरबैजान फिलहाल एससीओ के 14 डायलॉग्स पार्टनर्स में से एक है. अजरबैजान लंबे समय से एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने की कोशिश कर रहा है और सदस्य बनने के लिए सदस्य देशों की अनुमति जरूरी होती है. अजरबैजान का दावा है कि भारत उसकी सदस्यता की राह में रोड़ा बन रहा है.
वहीं, चीन अजरबैजान की सदस्यता का समर्थन करता रहा है. रविवार को ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि चीन अजरबैजान के एससीओ में शामिल होने के प्रस्ताव का समर्थन करता है.
एससीओ के सदस्य देशों की बात करें तों, भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस एससीओ के 10 सदस्य हैं. मंगोलिया और अफगानिस्तान संगठन के ऑब्जर्वर देश हैं. तुर्की, अजरबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका, मिस्र, कतर, सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, मालदीव, संयुक्त अरब अमीरात, म्यांमारएससीओ के डायलॉग पार्टनर्स हैं.