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भारतीय सेना ने किया अपने ‘सुदर्शन चक्र’ का परीक्षण, दुश्मन के 80% विमान बर्बाद

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force – IAF) ने हाल ही में अपने हवाई रक्षा कवच यानी सुदर्शन चक्र (Sudarshan Chakra) का सफल परीक्षण किया. इस हथियार की तरफ दुश्मन के राफेल, सुखोई और मिग फाइटर जेट्स भेजे गए. जिसके बाद सुदर्शन चक्र एक्टीवेट हो गया. उसने सभी दुश्मन टारगेट में से 80 फीसदी को मार कर गिरा दिया.

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सुदर्शन चक्र यानी S-400 AD. दुनिया का सबसे खतरनाक एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम. भारत के पास तीन सुदर्शन चक्र हैं. दो और रूस से आने हैं. हम जिस परीक्षण की बात कर रहे हैं, उसमें वायुसेना के राफेल, Su-30 और मिग विमानों को दुश्मन का फाइटर जेट बनाया गया था. जिन्हें सुदर्शन चक्र ने मार गिराया.

यह एक सिमुलेटेड थियेटर लेवल हवाई युद्धभ्यास था. हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने रूस की यात्रा की थी. तब रूस ने यह भरोसा दिलाया था, बचे हुए दो और S-400 एयर डिफेंस सिस्टम 2025 और 2026 में भारत को सौंप दिए जाएंगे. यूक्रेन से युद्ध के चलते इन एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को भेजने में रूस ने देरी की.

सुदर्शन चक्र से ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा देश का आसमान

भारत के पास S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम मौजूद होने की वजह से चीन या पाकिस्तान सीमा पार से नापाक हरकत नहीं कर पाएंगे. इस एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के बचे हुए यूनिट्स आने के बाद देश की सुरक्षा अभेद्य हो जाएगी. एस-400 मिसाइल सिस्टम के ऑपरेटर्स की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है.

अभेद्य रक्षा कवच प्रदान करता है बेहतरीन सुरक्षा

एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम हथियार नहीं महाबली है. इसके सामने किसी की भी साजिश नहीं चलती. यह आसमान से घात लगाकर आते हमलावर को पलभर में राख में बदल देता है. एस-400 मिसाइल सिस्टम को दुनिया की सबसे सक्षम मिसाइल प्रणाली माना जाता है.

पाकिस्तान और चीन भारत के लिए हमेशा से चुनौती रहे हैं. भारत का इन देशों से युद्ध भी हो चुका है. शक्ति का संतुलन बनाए रखने के लिए ऐसी मिसाइल प्रणाली की देश को जरूरत थी. भारत को एस-400 सिस्टम मिलने से भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा होगा.

33 हजार करोड़ रुपए में हुई थी पांच यूनिट की डील

भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ ऐसे पांच सिस्टम खरीदने का करार किया था जिसकी लागत 5 अरब डॉलर यानी 33,000 करोड़ रुपये है. चीन हो या पाकिस्तान S-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम के बल पर भारत न्यूक्लियर मिसाइलों को अपनी जमीन तक पहुंचने से पहले ही हवा में ही ध्वस्त कर देगा.

S-400 से भारत चीन-पाकिस्तान की सीमा के अंदर भी नजर रख सकेगा. जंग में भारत S-400 सिस्टम से दुश्मन के लड़ाकू विमानों को उड़ने से पहले निशाना बना लेगा. चाहे चीन के जे-20 फाइटर प्लेन हो या फिर पाकिस्तान के अमेरिकी F-16 लड़ाकू विमान. यह मिसाइल सिस्टम इन सभी विमानों को नष्ट करने की ताकत रखता है. रूस ने साल 2020-2024 तक भारत को एक-एक कर ये मिसाइल सिस्टम देने की बात कही थी.

एक बार में 72 मिसाइल दाग सकता है ये सिस्टम

S-400 एक बार में एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है. इसके सबसे खास बात ये है कि इस एयर डिफेंस सिस्टम को कहीं मूव करना बहुत आसान है क्योंकि इसे 8X8 के ट्रक पर माउंट किया जा सकता है. S-400 को नाटो द्वारा SA-21 Growler लॉन्ग रेंज डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी कहा जाता है. माइनस 50 डिग्री से लेकर माइनस 70 डिग्री तक तापमान में काम करने में सक्षम इस मिसाइल को नष्ट कर पाना दुश्मन के लिए बहुत मुश्किल है. क्योंकि इसकी कोई फिक्स पोजिशन नहीं होती. इसलिए इसे आसानी से डिटेक्ट नहीं कर सकते.

S-400 मिसाइल सिस्टम में चार तरह की मिसाइलें होती हैं जिनकी रेंज 40, 100, 200, और 400 किलोमीटर तक होती है. यह सिस्टम 100 से लेकर 40 हजार फीट तक उड़ने वाले हर टारगेट को पहचान कर नष्ट कर सकता है. एस-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Air Defence Missile System) का रडार बहुत अत्याधुनिक और ताकतवर है.

600 km की रेंज में 300 टारगेट ट्रैक करने की ताकत

इसका रडार 600 किलोमीटर तक की रेंज में करीब 300 टारगेट ट्रैक कर सकता है. यह सिस्टम मिसाइल, एयरक्राफ्ट या फिर ड्रोन से हुए किसी भी तरह के हवाई हमले से निपटने में सक्षम है. शीतयुद्ध के दौरान रूस और अमेरिका में हथियार बनाने की होड़ मची हुई थी. जब रूस अमेरिका जैसी मिसाइल नहीं बना सका तो उसने ऐसे सिस्टम पर काम करना शुरू किया जो इन मिसाइलों को टारगेट पर पहुंचने पर पहले ही खत्म कर दे.

1967 में रूस ने एस-200 प्रणाली विकसित की. ये एस सीरीज की पहली मिसाइल थी. साल 1978 में एस-300 को विकसित किया गया. एस-400 साल 1990 में ही विकसित कर ली गई थी. साल 1999 में इसकी टेस्टिंग शुरू हुई. इसके बाद 28 अप्रैल 2007 को रूस ने पहली एस-400 मिसाइल सिस्टम को तैनात किया गया, जिसके बाद मार्च 2014 में रूस ने यह एडवांस सिस्टम चीन को दिया. 12 जुलाई 2019 को तुर्की को इस सिस्टम की पहली डिलीवरी कर दी.

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