भारत सरकार ने शुक्रवार को कहा कि रिश्वतखोरी के आरोपों में उद्योगपति गौतम अदाणी के खिलाफ जारी अरेस्ट वारंट के बारे में उसे अमेरिकी अधिकारियों से कोई अनुरोध नहीं मिला है. भारत सरकार की यह टिप्पणी अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा गौतम अदाणी के खिलाफ अभियोग की रिपोर्ट के बीच आई है.
विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में अदाणी से जुड़ी संस्थाओं से जुड़ी कानूनी कार्यवाही में सरकार की कोई भूमिका नहीं है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक प्रेस संबोधन के दौरान कहा कि “यह एक कानूनी मामला है जिसमें निजी फर्में और व्यक्ति और अमेरिकी न्याय विभाग शामिल हैं.” उन्होंने आगे कहा कि ऐसे मामलों में “स्थापित प्रक्रियाओं और कानूनी रास्तों” का पालन किया जाएगा.
#WATCH | Delhi: On the Adani indictment issue, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, "This is a legal matter involving private firms and individuals and the US Department of Justice. There are established procedures and legal avenues in such cases which we believe would be… pic.twitter.com/w8CCLqU660
— ANI (@ANI) November 29, 2024
बता दें भारत में किसी भी कानूनी कार्रवाई के लिए अमेरिकी अधिकारियों को भारत में गृह मंत्रालय को जानकारी देना आवश्यक है. चाहे वह गिरफ्तारी वारंट ही क्यों ना हो? जानकारी मिलने के बाद गृह मंत्रालय तब संबंधित संघीय एजेंसियों को अनुरोध पर कार्रवाई करने का निर्देश दे सकता है. अमेरिका में गौतम अदाणी के खिलाफ अभियोग में भारत में सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए रिश्वत लेने और धोखाधड़ीपूर्ण वित्तीय खुलासे के माध्यम से अमेरिकी निवेशकों को गुमराह करने के आरोप शामिल हैं.
अगर अमेरिकी अधिकारी अदाणी को आरोपों का सामना करने के लिए अमेरिका लाना चाहते हैं, तो उनसे भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि का सहारा लेने की उम्मीद की जाती है. संधि के तहत अमेरिका को कथित कार्रवाइयों को अमेरिकी कानून के उल्लंघन से जोड़ने वाले सबूत देने होंगे और उनके अधिकार क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को प्रदर्शित करना होगा.
क्या है पूरा मामला?
न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में सुनवाई के दौरान गौतम अडानी की कंपनी पर US में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने और एक सोलर एनर्जी कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को मोटा रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है. आरोप है कि 2020 से 2024 के बीच अदाणी ग्रीन और एज्योर पावर ग्लोबल को ये सोलर प्रोजेक्ट दिलाने के लिए गलत रूट से भारतीय अधिकारियों 265 मिलियन डॉलर (करीब 2236 करोड़ रुपये) को रिश्वत दी गई.
यही नहीं, रिश्वत वाली बात अमेरिकी कंपनी यानी एज्योर पावर ग्लोबल से छुपाई गई. इस कॉन्ट्रेक्ट के जरिए 20 साल में दो अरब डॉलर से ज्यादा मुनाफे का अनुमान लगाया गया था और इसका लाभ लेने के लिए झूठे दावे करते हुए लोन और बॉन्ड्स जुटाए गए. हालांकि इन आरोपों के बाद तत्काल स्टेटमेंट जारी करते हुए अदाणी ग्रुप ने अमेरिकी जांच एजेंसी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था और कहा था कि आरोप निराधार है, ग्रुप हर फैसला कानून के दायरे में लेता है.