भारतीय वैज्ञानिक का दावा: सिर्फ धरती नहीं, इस ग्रह पर भी हो सकता है जीवन..

सदियों से इंसान इस सवाल से जूझता आया है. क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं? अब इस रहस्य पर से पर्दा उठता नजर आ रहा है. वैज्ञानिकों को पृथ्वी से सात सौ ट्रिलियन मील दूर स्थित एक ग्रह K2-18b नाम के प्लैनट से ऐसे संकेत मिले हैं, जो जीवन की संभावनाओं की ओर इशारा करते हैं. यह ग्रह पृथ्वी से ढाई गुना बड़ा है और इसके वातावरण की जांच कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम कर रही है.

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K2-18b के वायुमंडल में वैज्ञानिकों को डाइमिथाइल सल्फाइड (DMS) और डाइमिथाइल डाइसल्फाइड (DMDS) जैसे केमिकल एलिमेंट्स मिले हैं, जो आमतौर पर पृथ्वी पर केवल जीवित जीवों, जैसे फाइटोप्लांकटन और बैक्टीरिया, द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं. हालांकि अभी इन संकेतों को अंतिम प्रमाण नहीं माना जा सकता, लेकिन प्रमुख रिसर्चर प्रोफेसर निक्कू मधुसूदन का मानना है कि अगले एक या दो सालों में यह साबित किया जा सकेगा कि K2-18b पर जीवन की मौजूदगी संभव है.

महासागर होने का भी संकेत

इस ग्रह के वायुमंडल में अमोनिया की अनुपस्थिति ने भी वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा है. वैज्ञानिक मानते हैं कि K2-18b पर एक विशाल महासागर हो सकता है, जो अमोनिया को सोख रहा है. अमोनिया का पाया जाना आमतौर पर जीवन के लिए अहम संकेत होता है, इसलिए इसकी कमी से यह संभावना और मजबूत होती है कि ग्रह पर समुद्र जैसी जीवनदायी संरचना हो सकती है. हालांकि, यह भी संभव है कि सतह के नीचे लावा का महासागर हो, जो जीवन के लिए प्रतिकूल होगा.

अभी और सटीक जानकारी जुटाने की कोशिश

वैज्ञानिकों को K2-18b के वायुमंडल से अब तक ‘तीन-सिग्मा’ स्तर की पुष्टि मिली है. ‘सिग्मा’ वैज्ञानिक सटीकता को मापने का मानक है. आमतौर पर किसी खोज को पुख्ता कहने के लिए ‘पांच-सिग्मा’ की आवश्यकता होती है. हालांकि तीन-सिग्मा स्तर पर मिले संकेत इस दिशा में एक बड़ा कदम हैं, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय को पूर्ण रूप से आश्वस्त करने के लिए अभी और सटीकता की दरकार है.

प्रोफेसर निक्कू मधुसूदन का कहना है कि अगर K2-18b पर जीवन पाया जाता है, तो यह केवल एक ग्रह की कहानी नहीं होगी, बल्कि इससे पूरे ब्रह्मांड में जीवन की व्यापक संभावनाएं उजागर हो जाएंगी. यह खोज न केवल विज्ञान की दृष्टि से बल्कि मानवता के भविष्य की समझ के लिए भी ऐतिहासिक मानी जाएगी.

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