भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया नैनो सेंसर, 10 मिनट में पकड़ लेगा सेप्सिस जैसी जानलेवा बीमारी

भारत के वैज्ञानिकों ने सेप्सिस जैसी घातक बीमारी की शुरुआती पहचान के लिए एक बेहद संवेदनशील और कम लागत वाला इलेक्ट्रोकेमिकल बायोसेंसर तैयार किया है। यह डिवाइस मरीज के बिस्तर के पास ही इस्तेमाल किया जा सकता है और महज 10 मिनट में परिणाम दे देता है।राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), कालीकट के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इस डिवाइस में एंडोटॉक्सिन नामक ज़हरीले तत्व का पता लगाने की क्षमता है, जो सेप्सिस का प्रमुख संकेतक होता है। एंडोटॉक्सिन की उपस्थिति से शरीर का इम्यून सिस्टम खुद अपने अंगों को नुकसान पहुंचाने लगता है, जिससे स्थिति तेजी से गंभीर हो सकती है।

Advertisement

आठ सेंसर, नैनोमैटेरियल तकनीक से लैस सिस्टम
इस उपकरण में कुल आठ सेंसर लगाए गए हैं—सात इलेक्ट्रोकेमिकल और एक ऑप्टिकल। इन सेंसरों की संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए स्वर्ण नैनोकण, कॉपर ऑक्साइड, मोलीब्डेनम सल्फाइड (MoS₂), कार्बन नैनोट्यूब और रिड्यूस्ड ग्रेफीन ऑक्साइड जैसे अत्याधुनिक नैनोमैटेरियल्स का उपयोग किया गया है।

कम लागत और पॉइंट-ऑफ-केयर टेस्टिंग के लिए तैयार
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह डिवाइस विशेष रूप से ‘प्वाइंट ऑफ केयर’ यानी अस्पताल या क्लिनिक में तुरंत जांच के लिए डिजाइन किया गया है। यह ब्लड सीरम में एंडोटॉक्सिन की पहचान स्टैंडर्ड एडिशन मेथड से करता है और इसके नतीजे 10 मिनट के भीतर मिल जाते हैं।

हर साल 50 मिलियन लोग सेप्सिस से ग्रस्त, 15 मिलियन की मौत
सेप्सिस एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिससे हर साल दुनियाभर में 40 से 50 मिलियन लोग प्रभावित होते हैं। इनमें से लगभग 10 से 15 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है। इसकी शुरुआती पहचान और त्वरित इलाज ही मरीज की जान बचा सकता है, ऐसे में यह भारतीय डिवाइस एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है।

Advertisements