अब देश में महिलाएं घर के काम में ज्यादा समय खर्च न करके रोजगार की तलाश में जुटने लग गई हैं. यही वजह है कि साल 2024 में महिलाओं की रोजगार में भागीदारी 25 फीसदी बढ़ी है. वे फ्री का काम करने से बच रही हैं और पैसा कमाकर अपने घर को अच्छे से चलाना चाहती हैं ताकि भविष्य को और बेहतर से संवारा जा सके. ये जानकारी केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई फैक्ट शीट में सामने आई है.
फैक्ट शीट के मुताबिक, रोजगार से संबंधित गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी 2019 में जहां 21.8 फीसदी थी, वहीं 2024 में ये बढ़कर 25 फीसदी हो गई. साथ ही बिना सैलरी के घरेलू काम पर खर्च किए जाने वाले समय में भी कमी आई है. वहीं, 15 से 59 साल के पुरुषों की भागीदारी 2019 में 70.9 फीसदी थी, जोकि 2024 में बढ़कर 75 फीसदी हो गई है.
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने टाइम यूज सर्वे (TUS) जारी किया है. सर्वे के अनुसार, 2024 में 49.9 फीसदी लोग रोजगार-संबंधी गतिविधियों में लगे हुए थे, जबकि पांच साल पहले यह संख्या 46.4 फीसदी थी. सर्वे के लिए जानकारी 24 घंटे की संदर्भ अवधि के साथ एकत्र की गई थी. मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि बिना सैलरी वाली घरेलू सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी पांच साल पहले के लगभग 315 मिनट थी, जोकि से घटकर 2024 में 305 मिनट रह गई. ये “बिना सैलरी से सैलरी वाली गतिविधियों में बदलाव को दर्शाता है”.
पुरुष कितना करते हैं घर की देखभाल?
इस तरह का सर्वे पहली बार 2019 में किया गया था, जिसका उद्देश्य पेड और अनपेड कामों में पुरुषों और महिलाओं दोनों की भागीदारी को मापना है. इसमें 1,39,487 परिवार शामिल किया गया था. सर्वे में बताया गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की देखभाल संबंधी गतिविधियों में भागीदारी का स्तर ज्यादा है. 41 फीसदी महिलाएं घर के सदस्यों की देखभाल करती हैं, जबकि पुरुष 21.4 फीसदी ही करते हैं. औसतन, महिलाएं घर के सदस्यों की देखभाल में रोज 140 मिनट खर्च करती हैं, जबकि पुरुष मात्र 74 मिनट बिताते हैं.
मंत्रालय ने कहा, ‘यह भारतीय सामाजिक ताने-बाने की पुष्टि करता है, जहां घर के सदस्यों की देखभाल की अधिकांश जिम्मेदारियां घर की महिलाओं की ओर से वहन की जाती हैं.’ सर्वे में यह भी पाया गया कि 6 से 14 साल की आयु के 89.3 फीसदी बच्चों ने 2024 में सीखने की गतिविधियों में भाग लिया और उन पर प्रतिदिन औसतन 413 मिनट खर्च किए गए.