पेरिस पैरालंपिक 2024 के तीसरे दिन यानी 31 अगस्त (शनिवार) को भी भारतीय एथलीट एक्शन में हैं. महिला निशानेबाज रुबीना फ्रांसिस ने वूमेन्स 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया. रुबीना फ्रांसिस ने फाइनल मुकाबले में 211.1 अंक हासिल किए. पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के पदकों की संख्या अब पांच हो गई है. भारत ने अब तक एक गोल्ड, एक सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं.
ईरान की जावनमरडी सरेह ने गोल्ड और तुर्की की ओजगान आयसेल ने इस स्पर्धा मे सिल्वर मेडल हासिल किया. जावनमरडी सरेह ने 236.8 अंक बनाए. वहीं ओजगान आयसेल ने 231.1 अंक जुटाए. रुबीना एक समय दूसरे पोजीशन पर चल रही थीं, लेकिन बाद में वह पीछे हो गईं. निशानेबाजी में एसएच1 श्रेणी में ऐसे निशानेबाज शामिल होते हैं जिनकी बांहों, निचले धड़, पैरों की गति प्रभावित होती है या उनके हाथ या पैर में विकार होता है.
मध्य प्रदेश के जबलपुर की पैरा पिस्टल शूटर रुबीना ने वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट्स वर्ल्ड कप- 2023 में 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में रजत पदक हासिल किया था. रुबीना ने 2017 में बैंकॉक में आयोजित वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट्स चैम्पियनशिप में 10 मीटर एयर पिस्टल महिला टीम इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर जूनियर विश्व रिकॉर्ड बनाया था. उन्होंने क्रोएशिया में 2019 विश्व पैरा चैम्पियनशिप में कांस्य पदक भी जीता था.
Yet another proud moment for India as @Rubina_PLY wins a Bronze in the P2 – Women's 10M Air Pistol SH1 event at the #Paralympics2024. Her exceptional focus, determination, and perseverance have given outstanding results. #Cheer4Bharat
— Narendra Modi (@narendramodi) August 31, 2024
25 साल की रुबीना को रिकेट्स है और वह पैरों से 40 प्रतिशत दिव्यांग हैं. रिकेट्स एक ऐसी स्थिति है जो बच्चों में हड्डियों के विकास को प्रभावित करती है. यह बीमारी हड्डियों में दर्द और उसकी कमजोरी का कारण बनती है. इससे हड्डियों में विकृति आ सकती है. रुबीना मध्य प्रदेश शूटिंग अकादमी में पिस्टल शूटिंग की ट्रेनिंग लेती हैं.
बता दें कि पैरालंपिक के दूसरे दिन भारत ने चार मेडल जीते थे. मनीष नरवाल ने मेन्स 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) में सिल्वर मेडल जीता था. वहीं प्रीति पाल ने वूमेन्स 100 मीटर रेस (T35) में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था. जबकि वूमेन्स 10 मीटर एयर राइफल (SH1) शूटिंग में अवनि लेखरा ने गोल्ड और मोना अग्रवाल ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था.