भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के अपडेट पर मंगलवार को दिल्ली स्थित नेशनल मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. इस दौरान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन वी नारायणन ने कहा कि गगनयान परियोजना का पहला मानवरहित मिशन इस साल के अंत में लॉन्च होने की उम्मीद है, इसके बाद 2026 में इसी तरह के दो और मिशन लॉन्च किए जाएंगे.
वहीं, मानवयुक्त गगनयान मिशन का प्रक्षेपण 2027 की पहली तिमाही तक के लिए टाल दिया गया है. इसरो अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने से पहले मानवरहित मिशन के हिस्से के रूप में एक अर्ध-मानव रोबोट ‘व्योममित्र’ भेजेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान गगनयान मिशन की घोषणा की थी. इसे हासिल करने के लिए 2022 का लक्ष्य रखा गया था.
कोविड के कारण भी इसमें देरी हुई है- इसरो प्रमुख
इसरो प्रमुख ने कहा, ‘इस परियोजना में कई बार देरी हुई है, आंशिक रूप से कोविड महामारी के कारण जिसने अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण को प्रभावित किया, और मिशन के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण तकनीकों में महारत हासिल करने की जटिलताओं के कारण भी. चालक दल के साथ मिशन 2025 में होने की उम्मीद थी और बाद में 2026 के लिए निर्धारित किया गया. अब इसे 2027 की पहली तिमाही तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.’
गगनयान मिशन के लिए मानव-रेटेड लॉन्च वाहन विकसित करने के अलावा, इसरो के वैज्ञानिकों ने मिशन के लिए पर्यावरण नियंत्रण और जीवन समर्थन प्रणाली (ECLSS) भी डिजाइन की है, जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों को कुछ दिनों के लिए पृथ्वी से 400 किमी ऊपर निचली-पृथ्वी कक्षा में ले जाना और उन्हें सुरक्षित वापस लाना शामिल है. यह अंतरिक्ष यान में केबिन दबाव, तापमान, वायु गुणवत्ता और व्यक्तिगत स्वच्छता प्रबंधन प्रणाली को बनाए रखने में मदद करेगा.
मिशन का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है- नारायणन
नारायणन ने कहा, ‘यह एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है. यह पहली बार है जब हमने इस विकास को अंजाम दिया है. मैं कहना चाहता हूं कि 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और हम योग्यता के अंतिम चरण में हैं. सफल होने पर, भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद स्वतंत्र रूप से मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा.’ उन्होंने कहा कि दिसंबर में पीएसएलवी रॉकेट द्वारा लॉन्च किए गए दो उपग्रहों सहित अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग सफल रहे और इसरो स्पैडेक्स-2 की योजना बना रहा है.