एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने मौजूदा वित्त वर्ष (2024-25) के लिए भारत के GDP ग्रोथ का अनुमान 0.3% बढ़ाकर 7% कर दिया है. ADB ने इससे पहले अपना अनुमान 6.7% रखा था. ADB को पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में निवेश के साथ कंज्यूमर डिमांड में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है, जिसके चलते उसने ग्रोथ प्रोजेक्शन को बढ़ाया है.
*एशियन डेवलपमेंट बैंक ने इसलिए बढ़ाया अपना अनुमान…*
• मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में तेज और मजबूत ग्रोथ हुई है.
• कंज्यूमर डिमांड में सुधार के चलते ओवरऑल ग्रोथ में सुधार हुआ है.
• इन्फ्लेशन में कमी के चलते मॉनेटरी पॉलिसी में सुधार की उम्मीद है.
हाल ही में वर्ल्ड बैंक ने FY25 के लिए GDP अनुमान 0.2% बढ़ाकर 6.6% कर दिया है. वहीं, वर्ल्ड बैंक ने FY24 के लिए भारत का GDP अनुमान 1.2% बढ़ाकर 7.5% कर दिया है. वर्ल्ड बैंक को सर्विस और इंडस्ट्रियल सेक्टर में तेजी की उम्मीद है जिस कारण उसने अनुमान बढ़ाया है.
रिजर्व बैंक ने 2 महीने पहले फरवरी में मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग के बाद GDP और महंगाई का अनुमान जारी किया था.
• FY25 में रियल GDP ग्रोथ अनुमान को 6.70% से बढ़ाकर 7% कर दिया था.
• FY25 के लिए RBI ने रिटेल महंगाई का अनुमान 4.50% दिया था.
GDP इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है. GDP देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रोड्यूस सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है. इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है.
GDP दो तरह की होती है. रियल GDP और नॉमिनल GDP. रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है. फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है. वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है.
GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है. GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है.
GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं. पहला है, आप और हम. आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है. दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ. ये GDP में 32% योगदान देती है. तीसरा है, सरकारी खर्च.
इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है. इसका GDP में 11% योगदान है. और चौथा है, नेट डिमांड. इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है.