भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 18 मई को अपना 101वां उपग्रह RISAT-18 प्रक्षेपित करने जा रहा है, जो पृथ्वी अवलोकन और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होगा. इस उपग्रह का प्रक्षेपण ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C61) के जरिए श्रीहरिकोटा से किया जाएगा.
इसरो का मिशन: राष्ट्रीय सुरक्षा और आवश्यकता के अनुरूप
नारायणन ने यह भी स्पष्ट किया कि इसरो के सभी मिशन भारत की सुरक्षा और राष्ट्रीय आवश्यकताओं के आधार पर योजनाबद्ध होते हैं. जब उनसे भारतीय सशस्त्र बलों के लिए किसी विशेष प्रक्षेपण की योजना के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि हमारे सभी कार्यक्रम हमारे लोगों और देश की सुरक्षा के लिए हैं. हम किसी अन्य देश से प्रतिस्पर्धा नहीं करते हैं. हमारा मिशन हमारी जरूरतों के आधार पर तैयार किया गया है.
1979 में इसरो ने शुरू की थी यात्रा
नारायणन ने इसरो की शुरुआत को याद करते हुए कहा कि भारत ने 1979 में SLV-3 रॉकेट के जरिए अपनी अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत की थी, जिसमें 98 प्रतिशत सफलता हासिल हुई थी. उन्होंने बताया कि हमारा पहला पूरी तरह सफल मिशन 1980 में हुआ था, और तब से लेकर अब तक हम लगातार अपनी तकनीकी क्षमताओं को मजबूत कर रहे हैं.
इसरो अब रक्षा, आपदा प्रबंधन, कृषि और जलवायु निगरानी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत के हितों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है.
इसरो का अगला मिशन: EOS-09 (RISAT-1B)
इसरो ने आगामी मिशन EOS-09 (RISAT-1B) की भी घोषणा की है, जिसे 18 जून 2025 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. यह उपग्रह भारत के पृथ्वी अवलोकन कार्यक्रम में एक और महत्वपूर्ण कदम होगा.
इसरो के अंतरिक्ष मिशन अब राष्ट्रीय सुरक्षा, निगरानी और आपदा प्रबंधन में अपनी भूमिका और महत्वपूर्ण बना रहे हैं, जिससे देश की तकनीकी और रणनीतिक ताकत में इजाफा हो रहा है.