इंदौर में सोमवार को नो कार डे मनाया गया, जिसमें शहरवासियों ने सक्रिय भागीदारी दिखाते हुए सड़क पर वाहनों की संख्या कम की। इस दौरान सामान्य दिनों की तुलना में करीब 30 प्रतिशत कारें और बड़े वाहन सड़क पर नहीं निकले। इंदौर पेट्रोल-डीजल पंप आनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजिंदरसिंह वासु के अनुसार, पेट्रोल की खपत में लगभग एक लाख लीटर और डीजल की खपत में 80 हजार लीटर की कमी आई। इसका प्रत्यक्ष असर शहर के पर्यावरण पर पड़ा और करीब 445.3 मेट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन कम हुआ।
नो कार डे के दौरान महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने साइकिल से रैली में भाग लेकर नागरिकों को प्रेरित किया। पलासिया चौराहा से राजवाड़ा तक आयोजित साइक्लोथोन में उन्होंने शहरवासियों के साथ साइकिल चलाकर पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा दिया। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलगुरू राकेश सिंघाई सहित कई अन्य अधिकारी और नागरिक भी साइकिल से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
निगमायुक्त दिलीप कुमार यादव ई-बस में सवार होकर विभिन्न क्षेत्रों का निरीक्षण करने पहुंचे। उनके साथ अपर आयुक्त, अभय राजनगवंकर, मनोज पाठक और अधीक्षण यंत्री डीआर लोधी भी मौजूद रहे। कलेक्टर शिवम वर्मा और कमिश्नर सुदाम खाड़े ई-स्कूटर से पहुंचे और उन्होंने नो कार डे की महत्ता पर जोर दिया। न्यायमूर्ति विवेक रूसिया पैदल हाई कोर्ट पहुंचे और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इस पहल का समर्थन किया।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि नो कार डे मनाने का उद्देश्य लोगों को यह दिखाना है कि केवल एक दिन कार न चलाने से भी शहर के वातावरण में कितना सुधार किया जा सकता है। पिछले वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि 2023 में नो कार डे पर 20 प्रतिशत कम कारें सड़क पर निकली थीं और 80 हजार लीटर ईंधन की बचत हुई थी। 2024 में यह प्रतिशत बढ़कर 25 रहा, जबकि इस वर्ष 30 प्रतिशत कारें कम निकलीं और करीब एक लाख लीटर पेट्रोल और 80 हजार लीटर डीजल बचा।
पूर्व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विज्ञानी दिलीप वाघेला के अनुसार, पेट्रोल और डीजल की कम खपत से शहर में करीब 445 मेट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम हुआ। यह पहल शहर में हर साल पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।