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इंदौर की छात्राओं का डर! DAVV हॉस्टल के बाहर छेड़छाड़, छात्राएं बोलीं – ‘हर दिन रोते हुए लौटती हैं लड़कियां

Indore News: इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) के गर्ल्स हॉस्टल में रहने वाली छात्राएं मनचलों की छेड़छाड़ से त्रस्त हैं. न्यूज़ 18 के कैमरे पर छात्राओं ने अपना दर्द बयां किया और बताया कि शाम सात बजे के बाद हॉस्टल से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. नौलखा से भंवरकुआं चौराहे तक का रास्ता मनचलों का अड्डा बन चुका है. लड़के अश्लील इशारे करते हैं, भद्दे कमेंट पास करते हैं, और कई बार तो बुरा टच और अंग प्रदर्शन तक की हद पार कर देते हैं. इस डर से कोई भी छात्रा अब अकेले हॉस्टल से बाहर निकलने से कतराती है. हर दिन कोई न कोई लड़की रोते हुए हॉस्टल लौटती है, क्योंकि मनचले उसे छेड़ते हैं या गलत तरीके से छूकर भाग जाते हैं.
विश्वविद्यालय के पांच गर्ल्स हॉस्टलों में करीब 1000 से ज्यादा छात्राएं रहती हैं. इन हॉस्टलों के आसपास सर्विस रोड पर अंधेरा रहता है, न तो स्ट्रीट लाइट्स ठीक हैं और न ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. छात्राओं का कहना है कि इस रास्ते पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. वे मांग कर रही हैं कि सिविल ड्रेस में महिला पुलिस कर्मियों की तैनाती हो, सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, और रास्ते पर पर्याप्त रोशनी का इंतजाम हो. साथ ही, पुलिस गश्त को और बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि बड़ी संख्या में छात्राएं रोजाना इस रास्ते से गुजरती हैं.
लगातार छेड़छाड़ की घटनाओं से परेशान विश्वविद्यालय के कुलपति ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर सख्त कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने असामाजिक तत्वों के खिलाफ कदम उठाने और सिविल ड्रेस में महिला पुलिस की पेट्रोलिंग बढ़ाने का अनुरोध किया है. इसके अलावा, नगर निगम कमिश्नर से हॉस्टल के बाहर सीसीटीवी कैमरे और हैलोजन लाइट्स लगवाने की मांग की गई है. छात्राओं ने दशहरे के मौके पर भावुक होकर कहा, “आज रावण का पुतला जलाने से पहले समाज में छिपे इन रावणों को खत्म करना जरूरी है.”
यह स्थिति इंदौर जैसे पढ़े-लिखे शहर के लिए शर्मिंदगी का कारण है. छात्राएं पढ़ाई के लिए हॉस्टल में रहती हैं, लेकिन असुरक्षा का डर उनकी आजादी छीन रहा है. स्थानीय लोग भी इस मुद्दे पर आक्रोशित हैं और चाहते हैं कि प्रशासन तुरंत कार्रवाई करे. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाते, छात्राओं का डर बना रहेगा. यह समय है कि समाज और प्रशासन मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकें, ताकि लड़कियां बिना डर के अपनी पढ़ाई और जिंदगी जी सकें.
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