कभी-कभी बुजुर्गों के सपने केवल कल्पनाएं नहीं होते, वे आशीर्वाद की तरह होते हैं जो पूरी निष्ठा और मेहनत से सच किए जा सकते हैं। इंदौर के रहने वाले उत्कर्ष अवधिया ने अपने दादा के सपने को साकार कर दिखाया। नीट-यूजी 2025 के परिणाम में उत्कर्ष ने पहले ही प्रयास में 720 में से 682 अंक प्राप्त कर देशभर में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। अब वे दिल्ली के प्रतिष्ठित एम्स में चिकित्सा शिक्षा लेंगे।
होस्टल में रहकर की दो साल तक तैयारी
उत्कर्ष का परिवार इंदौर में ही रहता है, फिर भी उन्होंने घर के बजाय होस्टल में रहकर परीक्षा की तैयारी की। उन्होंने बताया कि होस्टल का पढ़ाई का माहौल बेहतर था, इसलिए वहीं से तैयारी की। वे इंटरनेट मीडिया से दूर रहे और केवल सप्ताह में एक दिन ही उसका उपयोग करते थे। उनके पास की-पैड मोबाइल था, ताकि ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर केंद्रित रहे।
बायोलॉजी को कठिन मानते थे
उत्कर्ष ने बताया कि उन्हें बायोलॉजी सबसे कठिन विषय लगता था, लेकिन उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया और मेहनत जारी रखी। कोचिंग में जब टेस्ट देते थे तो यही सोचते थे कि यही नीट की परीक्षा है। जो भी शिक्षक पढ़ाते थे, उसे ध्यान से सुनते और नोट्स बनाते।
खेल और नींद को भी दिया महत्व
उत्कर्ष का मानना है कि केवल पढ़ाई से सफलता नहीं मिलती, मानसिक संतुलन भी जरूरी है। इसलिए वे रोज एक घंटे खेलते थे और दोस्तों के साथ समय बिताते थे। सात से आठ घंटे की नींद को वे सबसे अहम मानते हैं। इससे दिनभर की थकान उतर जाती थी और दिमाग तरोताजा हो जाता था।
शानदार रहा शैक्षणिक रिकॉर्ड
12वीं बोर्ड में उत्कर्ष ने 97 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। इसके साथ ही 11वीं कक्षा में वे एस्ट्रोनॉमी ओलंपियाड और गणित ओलंपियाड में भी सफल रहे थे। उनके पिता आलोक अवधिया एक निजी बैंक में शाखा प्रबंधक हैं और मां आशिया गृहिणी हैं। परिवार के समर्थन और अपने समर्पण से उत्कर्ष ने न केवल रैंक हासिल की बल्कि हजारों विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।