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दिसंबर में 4 महीने के लोअर लेवल पर महंगाई, क्या अब कम होगी लोन EMI

लगातार दूसरे महीने देश की खुदरा महंगाई में गिरावट देखने को मिली है. दिसंबर महीने का डाटा देखकर सरकार और रिजर्व बैंक को राहत मिल सकती है. इसका कारण भी है. देश की खुदरा महंगाई 4 महीने के लोअर लेवल पर आ गई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर के महीने में खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के कारण भारत की खुदरा महंगाई नवंबर के 5.48 फीसदी की तुलना में दिसंबर में थोड़ी कम होकर 5.22 फीसदी पर आ गई. अक्टूबर में भारत की खुदरा महंगाई 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.2 फीसदी पर पहुंच गई थी, जबकि खाद्य महंगाई 15 महीने के हाईएस्ट लेवल 10.9 फीसदी पर आ गई थी.

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रॉयटर्स के एक सर्वे में अनुमान लगाया गया था कि दिसंबर में भारत की महंगाई गिरकर 5.3 फीसदी हो सकती है. हालांकि कीमतों में बढ़ोतरी में मामूली कमी आई है, लेकिन एक अलग रॉयटर्स पोल से पता चला है कि महंगाई कम से कम 2026 की दूसरी छमाही तक केंद्रीय बैंक के 4 फीसदी तक आने की कोई उम्मीद नहीं है. अगर बात ग्रामीण महंगाई की बात करें तो नवंबर में 9.10 फीसदी की तुलना में घटकर 5.76 फीसदी हो गई, जबकि शहरी महंगाई पिछले महीने के 8.74 फीसदी से घटकर 4.58 फीसदी पर हो गई.

खाद्य महंगाई में गिरावट

दिसंबर के महीने में सबसे बड़ी राहत खाद्य महंगाई से कम होने से मिली है, जो ओवरऑल महंगााई बास्केट का लगभग आधा हिस्सा है. दिसंबर में खाद्य महंगाई पिछले महीने के 9.04 फीसदी से कम होकर 8.39 फीसदी हो गई. खाद्य कीमतें, जो देश के सीपीआई बास्केट का लगभग आधा हिस्सा बनाती हैं, ने हाल के महीनों में महंगाई को ऊंचा रखा है, जिसकी प्रमुख वजह सब्जियों की कीमतें थी. हालांकि, अनुकूल मानसून के सपोर्ट से गर्मियों के फसल की बंपर पैदावार के कारण उनमें राहत आनी शुरू हो गई है, जिससे आने वाले महीनों में और नरमी की उम्मीद जगी है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य आर्थिक सलाहकार कनिका पसरीचा के अनुसार महंगाई में नरमी की धीमी गति की प्रमुख वजह अक्टूबर में बेमौसम बारिश के कारण सब्जियों की कीमतों में देरी से सुधार और दिसंबर में कुछ ठंडक की वजह से खाद्य तेल और अनाज जैसे अन्य खाने पीने के सामान की कीमतों में देखी गई तेजी है.

महंगाई पर आरबीआई

दिसंबर में आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने खाद्य महंगाई पर चिंताओं को उजागर करते हुए, इस वित्तीय वर्ष के लिए अपने जीडीपी अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया था, जबकि इसी अवधि के लिए अपने महंगाई अनुमान को 4.5 फीसदी से बढ़ाकर 4.8 फीसदी कर दिया था. एमपीसी ने अपना तटस्थ रुख बरकरार रखा है, जिससे आने वाले महीनों में महंगाई का दबाव कम होने पर संभावित दर में कटौती की संभावना का संकेत है. आरबीआई के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी बैठक के दौरान अपने बयान में कहा था कि चौथी तिमाही में नरमी के संकेत दिखाने से पहले वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही तक खाद्य महंगाई ऊंची रहने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि हाई इंफ्लेशन उपभोक्ताओं के हाथ में खर्च करने योग्य इनकम को कम कर देती है.

0.25 फीसदी कम हो सकती है ब्याज दर

दास की जगह लेने के लिए संजय मल्होत्रा को आरबीआई गवर्नर नियुक्त किए जाने से पहले पिछले महीने रॉयटर्स के सर्वे में अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने कहा था कि केंद्रीय बैंक 5-7 फरवरी की पॉलिसी मीटिंग में अपनी प्रमुख ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर 6.25 फीसदी कर देगा. यह मुख्य रूप से इकोनॉमी को समर्थन देने के लिए होगा, जो 7-8 फीसदी के आसपास बढ़ रही थी, लेकिन जुलाई-सितंबर तिमाही में धीमी होकर 5 फीसदी से कुछ ऊपर रह गई. निर्मल बंग इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के अर्थशास्त्री टेरेसा जॉन ने एक नोट में लिखा है कि हमें फरवरी में आरबीआई से दर में कटौती की उम्मीद है, क्योंकि जीडीपी आरबीआई के 6.6 फीसदी पूर्वानुमान से कम रहने की संभावना है.

 

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