ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो जाने पर सीआरपीएफ जवान की पत्नी को बीमा क्लेम पाने के लिए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ा। भिंड रोड निवासी नीलम भदौरिया ने अपने पति जितेंद्र सिंह भदौरिया के ड्यूटी पर बलिदान हो जाने के बाद बीमा कंपनी से क्लेम मांगा।
जब कंपनी ने क्लेम को खारिज कर दिया और कहा कि व्यक्ति की मृत्यु बीमारी से हुई है, तो इसके बाद महिला को आयोग की शरण लेनी पड़ी। जहां सभी तर्कों और तथ्यों को सुनने और उनका आंकलन करने के बाद आयोग ने शिकायतकर्ता महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि 30 लाख का भुगतान छह प्रतिशत ब्याज के साथ करना होगा।
फैसला सुनाते हुए आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि सीआरपीएफ के मृतक जवान जितेंद्र सिंह भदौरिया को श्रीनगर में संवेदनशील स्थल पर पदोन्नति उपरांत पदस्थ किया गया था। जिससे स्पष्ट है कि वे मोर्चे पर कर्तव्य निभाने हेतु शारीरिक रूप से स्वस्थ थे।
पहले की बीमारी के आधार पर दावे को निरस्त कर दिया
क्योंकि यह स्वाभाविक उपधारणा है कि जब देश की सीमा पर रक्षा के लिए या आतंकवाद से निपटने के लिए सैन्य बल के जवानों को तैनात किया जाता है, तब पूर्ण रूप से ध्यान रखा जाता है कि वे किसी बीमारी से पीड़ित न हों और शारीरिक रूप से स्वस्थ व सक्षम हों।
इसके बाद ही उनकी तैनाती की जाती है। इस स्थिति में बीमा कंपनी द्वारा केवल तकनीकि रूप से पूर्व की बीमारी का आधार लेकर बीमा दावे को निरस्त करना पूर्ण रूप से सेवा में त्रुटि किया जाना दर्शाता है।
यह थी शिकायत
शिकायत के अनुसार पति जितेंद्र सिंह भदौरिया 79, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल, श्रीनगर में 10 जनवरी 2020 तक पदस्थ थे। यहां उनकी आन ड्यूटी ही मृत्यु हो गई। परिवादी के पति का विभाग ने 30 लाख रुपये का बीमा कराया था। परिवादी के पति की ड्यूटी श्रीनगर में होने से वहां का वातावरण अत्यधिक ठंडा होने के कारण वहां का तापमान शीतकाल में न्यूनतम तथा माइनस डिसे तक जाता है।
इससे बचाव के लिए हर मोर्चे को गर्म बनाए रखने के लिए बुखारी लगी होती है, जिसमें विषैली गैस कार्बनमोनो आक्साइड के रिसने की प्रबल संभावना रहती है। वहीं यदि यह अत्यधिक मात्रा में शरीर में चली जाए तो बेहोश होने की संभावना रहती है एवं मृत्यु तक हो सकती है। यही स्थिति परिवादी के पति के साथ हुई, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
परिवादी के पति का पोस्टमार्टम किए जाने पर भी डाक्टरों ने विषैली गैस कार्बन मोनोआक्साइड शरीर के अंदर पाए जाने से परिवादी के पति के बेहोश होकर बुखारी में गिरना बताया गया। परिवादी के बीमित पति की मृत्यु के बाद प्रस्तुत बीमा दावा बिना किसी उचित कारण के निरस्त कर दिया गया। जिसके बाद मामला आयोग के समक्ष आया।