इंश्योरेंस फ्रॉड के बड़े मामले में खबर के बाद पुलिस और बीमा कंपनियों की जांच तेज हो गई है. शुरुआती जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि संभल जिले की एक ही ग्राम पंचायत से 30 फर्जी डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए.
संभल पुलिस ने इस सिलसिले में जांच शुरू कर दी है, जबकि इंश्योरेंस कंपनियों ने अपने एजेंट्स और इन्वेस्टिगेटर्स की स्क्रूटनी शुरू कर दी है. पिछले 5 सालों में किए गए सभी इंश्योरेंस क्लेम की दोबारा जांच की जा रही है, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी का खुलासा हो सके.
इस फ्रॉड का केंद्र बने त्रिलोक कुमार नामक व्यक्ति के दो अलग-अलग डेथ सर्टिफिकेट सामने आने पर मामला और गंभीर हो गया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली एमसीडी को नोटिस जारी किया है और चार हफ्ते में जवाब मांगा है.
जांच में पता चला है कि त्रिलोक कुमार के नाम से पहला डेथ सर्टिफिकेट जून 2024 में और दूसरा दिसंबर 2024 में जारी किया गया था. खास बात यह है कि दोनों सर्टिफिकेट में अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर दिखाया गया है.
22 लाख रुपये की धोखाधड़ी
त्रिलोक के फर्जी डेथ सर्टिफिकेट के जरिए जालसाजों ने इंश्योरेंस कंपनियों से करीब 22 लाख रुपये की धोखाधड़ी की. अब यह सवाल उठ रहा है कि कैसे एक ही व्यक्ति के दो बार मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हो सकते हैं और यह फर्जीवाड़ा इतने लंबे समय तक दबा रहा. जांच एजेंसियां अब इस पूरे नेटवर्क को खंगाल रही हैं, जिसमें ग्राम पंचायत, एजेंट, इन्वेस्टिगेटर और बीमा कंपनियों के कुछ कर्मियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है.