Chhattisgarh: कुरुद जनपद पंचायत कुरूद की स्वच्छता समिति की हालिया बैठक में सभापति शकुंतला देवांगन के साथ उनके पति की मौजूदगी पर विपक्ष ने आपत्ति दर्ज कर इसे लोकतंत्र और पंचायत व्यवस्था को शर्मसार करने वाली कृत्य बताई है. जनपद सदस्य लिली श्रीवास ने इसे गैर संवैधानिक करार देते हुए महिला जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का खुला उल्लंघन माना है.
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श्रीवास ने कहा कि यह घटना स्पष्ट रूप से “प्रॉक्सी राज” की ओर इशारा करती है, जहाँ महिला प्रतिनिधियों के नाम पर उनके परिजन शासन कर रहे हैं. यह स्थिति न केवल संविधान के खिलाफ है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा प्रहार है. इससे पहले भी महिला सदस्य श्रीमती देवांगन के पति द्वारा संचार एवं संकर्म समिति की बैठक में शामिल होकर जनपद के अधिकारी-कर्मचारियों पर अपनी धौंस दिखाया गया हैं. उनका कहना है कि यदि एक महिला प्रतिनिधि स्वयं बैठक में उपस्थित हैं, तो उनके पति को अधिकार किसने दिया. अधिकारी इस पूरे घटनाक्रम में मौन क्यों हैं. क्या जनप्रतिनिधियों के नाम पर केवल परछाइयाँ बैठेंगी। क्या महिला सशक्तिकरण केवल कागज़ों तक सीमित रहेगा.
ऐसे में कैसे होगी महिला सशक्तिकरण:
जनपद सदस्य सुश्री श्रीवास ने मांग कि है कि इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच कर संबंधित अधिकारी व समिति पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण लिया जाए। जनप्रतिनिधि के नाम पर किसी भी प्रकार का अवैध प्रतिनिधित्व तत्काल रोका जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए दृढ़ प्रशासनिक दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। लोकतंत्र की रक्षा तभी संभव है जब नियम सबके लिए समान हों, और चुने गए प्रतिनिधियों के स्थान पर कोई और कार्य न करे। हम महिला सशक्तीकरण की बात करते है जब तक महिला स्वयं प्रतिनिधित्व नहीं करेगी या केवल आरक्षण के नाम पर ही महिला खाली जगह पूर्ति करेगी तो महिला कभी स्वयं में सशक्त नहीं हो पाएगी अगर इस तरह की घटना होते रही तो महिला स्वयं आगे नहीं बढ़ पाएगी.
बीते कांग्रेस शासनकाल मे भी हो चुकी है ऐसी घटना:
गौरतलब हो कि महिला अध्यक्ष वाली जनपद पंचायत कुरुद में वर्तमान में भाजपा समर्थित पूर्ण बहुमत की प्रतिनिधित्व है. इससे पहले यहां कांग्रेस समर्थित सदस्यों ने जनपद की प्रतिनिधित्व किया था. तब भी यहां महिला अध्यक्ष थी और एक महिला सदस्य को एक समिति का सभापति बनाया गया था. उस समय उस महिला के पति भी इसी तरह उनके साथ बैठकों में शामिल होता था जिसका विरोध होने बाद वह जनपद के बैठकों में बैठना बंद किये थे. अब सत्ता पलट हो जाने पर वहीं विरोध अब विपक्ष की तरफ से हो रही है. खैर पक्ष-विपक्ष में विरोध तो होता रहता है पर इस बात का सभी को ज्ञान होना आवश्यक है कि जनपद पंचायत एक लोकतांत्रिक संस्था है, जहां निर्वाचित सदस्य जनता के प्रतिनिधि होते हैं, ऐसे में किसी की दखल पूर्णतः गलत है.
विपक्ष बेतुका मुद्दों को छोड़ क्षेत्र के विकास पर ध्यान दे:
इस संदर्भ में सभापति शकुंतला रूपचंद देवांगन ने कहा कि उनके पति का जनपद के कार्रवाही में किसी प्रकार से कोई हस्तक्षेप नही है, बैठक के बाद वे मुझे लेने आये थे तो सभी की ओर से एक फोटोग्राफी चाही गई थी. उसी फ़ोटो को हथियार बनाकर हमारे जनपद सदस्य लिली श्रीवास द्वारा इसे बेतुका मुद्दा बनाया जा रहा है. अगर वे अपने क्षेत्र के विकास को मुद्दा बनायेगी और उस पर ज्यादा ध्यान देगी तो क्षेत्रवासियों का भला होगा.
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