Vayam Bharat

‘नहीं मिली न्यूनतम सुरक्षा…’, भारत ने कनाडा में रद्द किए कई और काउंसलर कैंप

कनाडा के टोरंटो (Toronto) में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “बढ़ते खतरों के खिलाफ न्यूनतम सुरक्षा प्रदान करने में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा लगातार असमर्थता जताए जाने की वजह से, वाणिज्य दूतावास को कुछ और काउंसलर कैंप को रद्द करने के लिए मजबूर हुआ. उनमें से ज्यादातर किसी भी पूजा स्थल पर नहीं थे, जिनमें से एक पुलिस सुविधा में था.”

Advertisement

दूतावास द्वारा यह फैसला कनाडा में भारतीय उच्चायोग द्वारा कुछ नियोजित काउंसलर कैंप्स को रद्द करने के फैसले के कुछ दिनों बाद लिया गया है. इससे पहले 2 और 3 नवंबर को ब्रैम्पटन और सरे में खालिस्तानी भीड़ द्वारा दो ऐसे कैंप पर हमले किए गए थे.

बयान में कहा गया है कि वाणिज्य दूतावास ग्रेटर टोरंटो इलाके में रहने वाले करीब 4,000 बुजुर्ग प्रवासी सदस्यों (भारतीय और कनाडाई नागरिक दोनों) के सामने आने वाली कठिनाइयों के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है, जिन्हें जरूरी वाणिज्य दूतावास सेवा से वंचित रखा गया है.

श्रद्धालुओं पर हुआ था हमला

2 नवंबर को खालिस्तानी भीड़ ने ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर के परिसर में प्रवेश किया और वहां श्रद्धालुओं पर हमला किया. मंदिर ही काउंसलर कैंप का आयोजन कर रहा था और ओंटारियो प्रांत की पील पुलिस सुरक्षा करने और खालिस्तानी हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही.

प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक समूह Sikhs for Justice ने कहा कि उसके समर्थक भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों की उपस्थिति का विरोध कर रहे थे, जो प्रशासनिक सेवाओं में सहायता के लिए आए थे.

भारतीय उच्चायोग कनाडाई-भारतीयों को जरूरी सेवाएं प्रदान कर रहा था, जिन्हें भारत विरोधी ताकतों द्वारा निशाना बनाया गया था. ब्रैम्पटन में भारतीय-कनाडाई समुदाय पर हुए हमलों के बाद, विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि सुरक्षा चिंताओं के कारण काउंसलर सर्विसेज को झटका लगा है, साथ ही उम्मीद जताई कि अन्य शहरों में भी शिविर जारी रहेंगे.

पिछले साल सितंबर में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश में भारतीय एजेंट्स के शामिल होने का आरोप लगाने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बाद भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक रिश्ते तेजी से खराब हो गए हैं. भारत ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया और ट्रूडो प्रशासन पर निशाना साधते हुए उस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और भारत-कनाडा द्विपक्षीय संबंधों को खराब करने का आरोप लगाया था.

Advertisements